दीपावली पंचपर्व का आखिरी त्योहार भैयादूज छह नवंबर को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस दिन भाई बहन के घर पहुंचकर तिलक लगवाकर उन्हें सदा सुहागन रहने और उसकी सदा रक्षा करने का वचन देता है। मान्यता के अनुसार इस दिन भाई यदि बहन के घर भोजन करता है तो उसे यमराज और उसके दूत का डर नहीं सताता है।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाने वाला भैयादूज का पर्व यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा हुआ है। इस दिन यम और शनि की पूजा करने से भी शनि भारी नहीं रहता है, इसलिए इस बार यह पर्व शनिवार को पड़ने से विशेष होगा। पंडित राकेश कुमार शुक्ला और ज्योतिषाचार्य संदीप भारद्वाज शास्त्री ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य की बेटी यमुना ने भाई यमराज को अपने घर खाने के लिए आमंत्रित किया था।
ऐसी मान्यता है कि अपनी बहन यमुना के घर आते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज ने यमुना के घर जाकर भोजन किया। इस दौरान यम ने बहन को वर दिया कि जो भी इस दिन यमुना में स्नान करके बहन के घर जाकर प्रसन्नता से भोजन ग्रहण करेगा, उसे और उसकी बहन को यमराज और उनके दूतों का भय नहीं होगा।
इस त्योहार को शुभ मुहूर्त में मनाने से अधिक लाभ होता है, जबकि राहुकाल में भाई को तिलक करने से बचना चाहिए। भैयादूज की द्वितीय तिथि पांच नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से ही शुरू हो गई थी, जो छह नवंबर को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक बनी रहेगी।