ने कथा के पंचम दिवस देवी द्रौपदी के महान चरित्र को सुनाया। इस प्रसंग में साध्वी जी ने बताया कि मुश्किल से मुश्किल घड़ी में भगवान ही भक्त के सहयोगी बनते हैं। जब भक्त भगवान को पुकारता है, तब वे एक क्षण का भी विलंब किए बिना दौड़े चले आते हैं। जो ईश्वर का चिंतन करता है, वह स्वतः ही चिंता से मुक्त हो जाता है। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं-जो भक्त ईश्वर को अनन्य भाव से भजते हैं, उसका योगक्षेम स्वयं भगवान वहन करते हैं। परंतु ईश्वर का चिंतन तभी होगा, जब हमारे अंदर उनके प्रति भाव होंगें। आज कितने ही लोग ईश्वर को पुकार रहे हैं किन्तु वे प्रकट नहीं होते हैं।प्रहलाद, मीरा या कबीर जी की तरह वे हमारी रक्षा क्यों नहीं करते? इसका कारण यह है कि आज हम परमात्मा को केवल मानते हैं, उसे जानते नहीं हैं। इसलिए न तो हमारा विश्वास उन भक्तों की भांति दृढ़ हो पाता है और न परमात्मा से प्रगाढ़ प्रेम हो पाता है। यदि हम चाहते हैं कि जिस प्रकार प्रभु ने प्रहलाद की रक्षा की, उसी प्रकार हमारी भी रक्षा हो तो हमें भी भक्तों के समान तत्वदर्शी ज्ञानी महापुरुष की शरण में जाकर उनकी कृपा से ईश्वर के तत्व स्वरूप का दर्शन कर उनके मार्गदर्शन में चलना होगा तभी जीवन में भक्ति का रंग लग पाएगा। इसलिए चिंता नहीं, हमेशा भगवान का चिंतन करो।कथा का विशेष प्रसारण संस्थान के यूट्यूब चैनल पर किया जा रहा है।
ईश्वर मानने का नहीं, जानने का विषय हैंः साध्वी आस्था भारती
देहरादून। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली ’श्री कृष्ण कथा’ का भव्य एवं विशाल आयोजन किया जा रहा है। जो कि 30 अप्रैल तक किया जाएगा। संस्थान की ओर से आयोजित श्री कृष्ण कथा का प्रसारण संस्थान के यूट्यूब चैनल पर वर्चुअल वेबकास्ट के माध्यम से किया जा रहा है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरुदेव आशुतोष महाराज की शिष्या कथा व्यास साध्वी आस्था भारती जी