देहरादून। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से दिव्य धाम आश्रम दिल्ली में ’श्री कृष्ण कथा’ का भव्य एवं विशाल आयोजन किया जा रहा है। संस्थान की ओर से आयोजितश्री कृष्ण कथा का प्रसारण संस्थान के यूट्यूब चैनल पर वर्चुअल वेबकास्ट के माध्यमसे किया जा रहा है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरुदेवश्री आशुतोष महाराज की शिष्या कथा व्यास साध्वी आस्था भारती ने कथा केषष्ठम दिवस कहा कि ग्रंथों में छिपे गूढ़ संदेशों को साधारण बुद्धि द्वारा साधारण जन समझ नहीं सकते हैं। केवल एक आत्मदर्शी ही इन्हें डी-कोड कर पाता है। सो, ईश्वर व महापुरुषों द्वारा शास्त्रों में प्रदत्त प्रेरणाओं का पूर्णतः लाभ उठाने के लिए एक ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु से ब्रह्मज्ञान की दीक्षा प्राप्त कर अपने अंतर्हृदय में ईश्वर का दर्शन करेंद्ययही समझाने प्रभु ने कलयुग में एक नया अवतार धारण किया- चौतन्य महाप्रभु। परमात्मा की लीलाएँ सदैव मनुष्यों के लिए रहस्य बनी रहीं हैं क्योंकि इंसान परमात्मा को अपनी बुद्धि के द्वारा समझना चाहता , जो संभव नहीं हैद्य एक दार्शनिक ने सटीक कहा है- आप उस चिमटे के द्वारा वह हाथ नहीं पकड़ सकते, जिस हाथ ने स्वयं चिमटे को पकड़ा हुआ है।
अर्थात जो इंद्रियाँ स्वयं उस ईश्वर की शक्ति से कार्यरत हैं, उनके माध्यम से ईश्वर को देखना, उनकी लीलाओं को समझ पाना असंभव हैद्य इस साक्षात्कार के लिए हमें सूक्ष्म साधन चाहिए और वह है दिव्य दृष्टि पूर्ण सद्गुरु ही इस तृतीय नेत्र को उन्मीलित कर शिष्य को उसकी शक्तियों के अनंत स्त्रोत, उस सच्चिदानंद प्रभु से जोड़ देते हैं। प्रभु की प्रत्येक लीला में आध्यात्मिक रहस्य छिपा होता है, जिनका उद्देश्य मनुष्य को आध्यात्मिक मार्ग की ओर प्रेरित करना है। जब एक मनुष्य पूर्ण सद्गुरु की कृपा से ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करता है तब उसके अंदर में ही इन लीलाओं में छुपे हुए आध्यात्मिक रहस्य प्रकट होते हैं तथा पूर्ण सद्गुरु की कृपा से ही वह इन रहस्यों को समझ पाता हैद्यकथा का विशेष प्रसारण संस्थान के यूट्यूब चैनल पर किया जा रहा है।