‘डॉक्टर’ बनकर मौज काट रहे महाठग को दिल्ली पुलिस ने दबोचा

नई दिल्ली। वह ठगी में मास्टर है। 10 राज्यों में 27 केस दर्ज थे। दो महिलाओं से धोखे से शादी की। वह 2019 में मुंबई से दिल्ली पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया। इसके बाद स्पेशलिस्ट डॉक्टर बता नर्गिंस होम और अस्पतालों से करीब 1.5 लाख रुपये की सैलरी काट रहा था। फिलहाल मेरठ के शास्त्री नगर स्थित एक अस्पताल में डॉक्टर बना बैठा था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने टेक्निकल सर्विलांस के जरिए इस फर्जी डॉक्टर मनीष कौल (37) को दबोच लिया, जो 10 से ज्यादा फर्जी नामों के जरिए जालसाजी कर चुका है।
अडिशनल कमिश्नर (क्राइम) शिबेश सिंह ने बताया कि क्राइम ब्रांच को मेरठ के शास्त्री नगर में मनीष की सटीक लोकेशन नहीं मिल रही थी। 9 जुलाई को ब्रेक मिल गया, जब स्विगी से उसने ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया। इसके जरिए उसे मेरठ के शास्त्री नगर स्थित नर्सिंग होम से पकड़ लिया गया। पूछताछ में बताया कि उसका जन्म अंबाला कैंट की एक अमीर परिवार में हुआ था। पिता बृज भूषण कौल उर्फ राजेंद्र पाल कौल अंबाला कैंट में एक दवाई की फैक्ट्री चलाते थे। अंबाला कैंट से 12वीं के बाद जालंधर में बीयूएमएस (बैचलर इन यूनानी एंड होमियोपैथिक) में दाखिला लिया। वह पढ़ाई पूरी नहीं कर सका और पिता की दवाई की फैक्ट्री में हाथ बंटाने लगा। इस दौरान यूपी के सहारनपुर में कंपनी के एक डीलर ने मनीष के खिलाफ 50 हजार रुपये की ठगी का केस दर्ज कराया। इसके बाद 2002 से 2008 के बीच केसों की झड़ी लग गई। दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मुंबई, उत्तराखंड, गोवा, बेंगलुरू और केरल तक में कुल 27 केस दर्ज हो गए।
पटेल नगर की स्कूल टीचर से 2007 में डॉक्टर बता शादी की। एक बेटी हुई। नवंबर 2014 में मैरिज पोर्टल पर एमडी, एमबीबीएस डॉक्टर बता पंजाब के एक अस्पताल में फिजिशन होना बताया। पिता के नेवी से रिटायर डॉक्टर होने का दावा किया। अशोक विहार की महिला डॉक्टर झांसे में आ गई। जुलाई 2015 में शादी कर ली और एक बेटा हुआ। महिला को असलियत पता चली तो मार्च 2018 में मोती नगर थाने में केस दर्ज करा दिया। पिस्टल लेकर महिला को मारने आया, जिसने पुलिस बुला ली। पुलिस पर फायरिंग की, लेकिन पकड़ा गया। मनीष 27 नवंबर 2019 को मुंबई में दिल्ली पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया। पुलिस उसे केरल और गोवा की अदालतों से प्रॉक्शन के बाद वापस लेकर लौट रही थी। वह राजस्थान के पाली स्थित सुमेरपुर पहुंचा, जहां इसके पिता मां आशापुरा मल्टी हॉस्पिटल चला रहे थे। करीब पांच महीने के बाद इसके पिता ठगी के केस में पकड़े गए तो वह गुड़गांव आ गया। एक साल पहले डॉ. विक्रांत भगत नाम से मेरठ के एक अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहा था।

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