देहरादून। ऊर्जा के तीन निगमों के 3500 से ज्यादा कार्मिकों ने सोमवार मध्यरात्रि से हड़ताल पर चले गए हैं। इससे मनेरी भाली और पछवादून की पांच जल विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन ठप हो गया है। इसके साथ ही कई जगहों पर बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई है। फिलहाल, सर्वे चौक के निकट स्थित कौशल विकास भवन में ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत और कर्मचारी नेताओं की वार्ता चल रही है। वार्ता में ऊर्जा निगम के एमडी दीपक रावत भी मौजूद। कर्मचारी मांगों पर अड़े हुए हैं। ऊर्जा मंत्री ने बीच का रास्ता निकालने की बात कही है। हालांकि, कर्मचारियों ने रवैया स्पष्ट कर दिया है कि मंगों पर कोई समझौता नहीं होगा। बैठक एक बंद कमरे में कई जा रही है।
- एक ओर सरकार बिजली कर्मचारियों से वार्ता कर रही है वहीं दूसरी ओर सरकार ने उनकी हड़ताल पर रोक भी लगा दी है।
- थोड़ी देर में 2:30 बजे सर्वे चौक के निकट स्किल डेवलपमेंट कार्यालय में ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत हड़ताली कर्मियों से करेंगे वार्ता। इस दौरान एमडी दीपक रावत भी रहेंगे मौजूद।
- कोटद्वार में सिडकुल के अधीन ग्रोथ सेंटर जशोधरपुर औद्योगिक आस्थान व बलभद्रपुर औद्योगिक आस्थान में मध्य रात्रि से विद्युत आपूर्ति बाधित है। विद्युत आपूर्ति न होने के कारण तीनों आस्थान क्षेत्रों में कामकाज पूरी तरह ठप है।
शासन से वार्ता विफल होने के बाद उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर चीला जल विद्युत निगम के 200 कर्मचारी हड़ताल पर हैं। उनका दावा है कि चीला में रात डेढ़ बजे से विद्युत उत्पादन ठप है। हड़ताली कर्मचारी कामकाज ठप कर निगम के गेट पर धरने में बैठे हैं। उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर विद्युत वितरण खंड ऋषिकेश से जुड़े करीब 150 अधिकारी और कर्मचारी अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल पर चले गए। विद्युत आपूर्ति पर हालांकि अब तक असर नहीं पड़ा है। मनेरी भाली प्रथम और द्वितीय जल विद्युत परियोजना में उत्पादन ठप कर दिया गया है। इससे राज्य सरकार को करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। वहीं, जिला मुख्यालय सहित जनपद के भटवाड़ी, पुरोला, नौगांव, बडकोट, चिन्यालीसौड़ सहित ग्रामीण क्षेत्रों पिछले एक घंटे से बिजली आपूर्ति ठप है। विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल के कारण फाल्ट का भी पता नहीं चल पा रहा है। सुबह-सुबह बिजली गुल होने से स्थानीयजन खासे परेशान हो गए हैं। बिजली कर्मियों की हड़ताल के चलते पछवादून के पांच जल विद्युत उत्पादन केंद्रों ढलीपुर, ढकरानी, छिबरो, खोडरी, कुल्हाल पावर हाउस में पावर जनरेशन पूरी तरह से ठप हो गया है। इसके चलते जल विद्युत निगम अधिकारियों ने बैराज के गेट खुलवा दिए हैं और नदियों का पानी सीधे पास किया जा रहा है। हड़ताल के चलते यूपीसीएल से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों ने बिजली लाइन में आए फाल्ट को हड़ताल के चलते दूर नहीं कराया। हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिल रहा है।
14 सूत्री मांगों को लेकर ऊर्जा निगम के अधिकारी और कर्मचारियों ने देहरादून में होने वाले आंदोलन के लिए कूच किया है। अधिकारियों के दफ्तरों पर शहर से देहात तक ताला लटका है। कर्मचारियों ने 27 जून की सुबह से ही हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया था। कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से बिजली आपूर्ति का संकट गहरा सकता है। हालांकि कुछ संविदा कर्मी ड्यूटी पर तैनात हैं।
उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर ऊर्जा निगम, पिटकुल और जलविद्युत निगम में सोमवार मध्यरात्रि से घोषित हड़ताल को खत्म कराने के लिए शासन ने दिनभर मोर्चा प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की। ऊर्जा मंत्री डा हरक सिंह रावत ने मोर्चा से वार्ता कर समाधान निकालने के निर्देश ऊर्जा सचिव सौजन्या को दिए थे। सोमवार को दोपहर करीब 12 बजे सचिवालय में मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल के साथ सचिव की वार्ता हुई। काफी देर तक हुई इस वार्ता में भी समाधान नहीं निकल सका। बाद में यह वार्ता बेनतीजा ही खत्म हो गई। शाम को ऊर्जा सचिव ने मुख्य सचिव डा एसएस संधू से मुलाकात कर उन्हें शासन स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। मुख्य सचिव की मौजूदगी में भी मोर्चा प्रतिनिधियों से कुछ देर वार्ता हुई। मुख्य सचिव के निर्देश पर ऊर्जा निगम के नए एमडी दीपक रावत, पूर्व एमडी नीरज खैरवाल और पूर्व ऊर्जा सचिव राधिका झा भी वार्ता में शामिल हुईं। इस वार्ता में समाधान नहीं निकला तो मुख्य सचिव ने समाधान के लिए प्रयास जारी रखने को कहा। रात्रि करीब सात बजे शासन की संयुक्त मोर्चा से दूसरे दौर की वार्ता प्रारंभ हुई। तकरीबन पांच घंटे से ज्यादा वक्त तक वार्ता हुई। ऊर्जा सचिव सौजन्या ने कर्मचारियों की मांगों पर कार्रवाई का भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि उक्त मांगों पर कार्यवाही के लिए शासन की ओर से मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। वार्ता के बिंदुओं पर शासन की ओर से दिए गए इस आश्वासन का कार्यवृत्त तैयार कर मोर्चा को भेजा गया है। देर रात्रि संपर्क करने पर ऊर्जा सचिव साैजन्या ने बताया कि मोर्चा के प्रतिनिधियों की मांगों के संबंध में प्रस्ताव को विचार के स्थान पर अनुमोदन के लिए कैबिनेट के समक्ष रखने पर सहमति बनी है। उन्होंने भरोसा जताया कि मंगलवार सुबह तक बिजली कार्मिक हड़ताल से दूर रहेंगे। वहीं मोर्चा के संरक्षक इंसारूल हक ने मांगों पर सहमति बनने से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि वार्ता के नाम पर सिर्फ उलझाया जा रहा है।
मोर्चा के आह्वान पर हड़ताल मध्य रात्रि से प्रारंभ हो गई है। सचिव के साथ वार्ता में मोर्चा के संरक्षक इंसारुल हक, उत्तराखंड ऊर्जा कामगार संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश शर्मा, दीपक बेनवाल, कार्तिकेय दुबे, अमित रंजन, डीसी ध्यानी, जेसी पंत समेत करीब 13 संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इंसारुल हक के मुताबिक हड़ताल के चलते जलविद्युत परियोजनाओं में उत्पादन प्रभावित होना शुरू हो गया है। बिजलीघरों को जैसे हैं, उसी हालत में छोड़कर कर्मचारी बाहर निकल गए हैं। बिजली आपूर्ति सुचारू रहेगी, लेकिन किसी फाल्ट की वजह से बंद हुई तो उसे ठीक नहीं किया जाएगा।