हेपेटाइटिस के मरीज कोविड-19 के दौर में अधिक सावधानियां बरतें

देहरादून। हेपेटाइटिस लीवर में सूजन की बीमारी है जिसकी वजह वायरस का संक्रमण या फिर खतरनाक कैमिलक्स जैसे शराब, ड्रग्स, जहर आदि का प्रकोप हो सकती है। भारत के लगभग 40 मिलियन लोगों को हेपेटाइटिस बी है जबकि कम से कम 6 मिलियन लोग हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त हैं। वायरस के संक्रमण से कई तरह के हेपेटाइटिस होते हैं जैसे हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई। ऐसे प्रत्येक किस्म का हेपेटाइटिस अलग-अलग किस्म वायरस के संक्रमण से होता है।
हेपेटाइटिस ए हमेशा कम समय का गंभीर संक्रमण होता हैय जबकि हेपेटाइटिस बी, सी, और डी क्रॉनिक बीमारी है और इसके बने रहने का अधिक खतरा है। मरीज को किस किस्म का हेपेटाइटिस है इस आधार पर उसके लिए इलाज के कई विकल्प हैं। कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस से बचने के लिए केवल टीकाकरण और जीवनशैली में बदलाव ही काफी है। कोरोना काल में हमारी जीवनशैली बिल्कुल बदल गई है। इसके परिणामस्वरूप हेपेटाइटिस, कैंसर आदि से पीड़ित मरीजों के लिए जरूरी नियमित जांच भी कठिन हो रहा है। हालांकि नए कोरोनावायरस (सार्स-कोव-2) का संक्रमण किसी को हो सकता है लेकिन लीवर और अन्य बीमारियों जैसे कि हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों को कोविड-19 का अधिक गंभीर खतरा है। इतना ही नहीं, विभिन्न रिपोर्टों से यह तथ्य सामने आया है कि कोरोनावायरस के संक्रमण से लीवर को नुकसान पहुंच सकता है। ‘क्लिनिकल लीवर डिजीज’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार कोविड-19 पीड़ित 50 प्रतिशत तक मरीजों को हेपेटिक (लीवर की) समस्या के लक्षण हो सकते हैं। इनमें लीवर के जैव रासायनिक परीक्षण में आई आम समस्याओं (जिनके लक्षण नहीं होते) से लेकर बहुत कम मामलों में अचानक लीवर फेल्यर तक की समस्या हो सकती है। हालांकि शोधकर्ता अभी हेपेटिक समस्याओं के कारण को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं क्योंकि ये समस्याएं बहुत-से कारणों से हो सकती हैं। बहरहाल स्थिति की गंभीरता देखते हुए हेपेटाइटिस के मरीजों के लिए कुछ अनिवार्य सावधानियां बरतना जरूरी है ताकि उनके स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति में कोई गिरावट नहीं हो और वे कोविड 19 के इस दौर में सुरक्षित रहें। कुछ अनिवार्य सावधानियां निम्नलिखित हैं-
ऽ कम से कम 30 सेकंड तक साबुन लगा कर पानी से हाथ धोएं या नियमित रूप से हैंड सैनिटाइजर लगाएं।
ऽ चिकित्सक के वर्चुअल संपर्क में रहें। टेलीफोन या वीडियो कॉल से सलाह ले सकते हैं और दवाइयां जरूर समय से लें।
ऽ अस्पताल जाने से बचें जब तक मुमकिन हो।
ऽ चिकित्सक से पूछे बिना उनकी बताई दवा बदलने या बंद करने का प्रयास नहीं करें। साथ ही यह ध्यान रखें कि वर्तमान कानून के तहत किसी प्रिस्क्रिप्श पर एक महीने की दवा लेने की सीमा है इसलिए दवा खरीदने की सही योजना बनाएं और खुराक छूट जाने की समस्या से बचें।
ऽ हर छह महीने में लीवर की जांच करवाएं।
ऽ सांस लेने में स्वच्छता की आदत डालें
ऽ यह ध्यान रखें कि आपकी स्वस्थ जीवन शैली हो।
ऽ अपने चिकित्सक से सलाह लेकर टीका लगवाएं।
ऽ घर से बाहर निकलते समय दोहरा मास्क लगाएं और मुंह और नाक को पूरी तरह ढककर रखें।
ऽ घर में साथ रहने वालों के अतिरिक्त सभी से छह फीट की दूरी बनाए रखें।
ऽ घर पर रहें और मेहमानों से बचें।
हेपेटाइटिस के मरीज लीवर को अच्छी स्थिति में रखने के लिए कुछ अन्य सुझावों पर अमल कर सकते हैं जैसे-
ऽ खाद्य पदार्थों के पोषण के लेबल देख लें और सोच-समझ कर खाद्य पदार्थ चुनें जो विशेष कर आपके लीवर के लिए लाभदायक हों।
ऽ किसी बीमारी के लिए ओवर-द-काउंटर दवा/अनधिकृत हर्ब्स खरीदने से परहेज करें क्योंकि उनमें कई लीवर को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
ऽ घर का खाना खाएं क्योंकि हेपेटाइटिस ए और ई की गंभीर समस्या खाने के संक्रमण से होती है।
ऽ चारदीवारी के अंदर शारीरिक व्यायाम करें।
ऽ फल और सब्जियां ताजा खरीदें और फ्रिज में रखें जिनका पूरे सप्ताह उपयोग कर सकते हैं।
ऽ वजन का ध्यान रखें क्योंकि लीवर में चर्बी बढ़ने से लीवर की गैर-अल्कोहल बीमारियां हो सकती हैं यदि आपका वजन ज्यादा या फिर आपको मोटापा हो।
तमाम सावधानियां बरतने और स्वस्थ जीवन शैली कायम रखने से आप स्वस्थ रहेंगे। सही जीवनशैली का अर्थ संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के साथ-साथ हेपेटाइटिस ए और बी का टीकाकरण
कराना है।

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