नई दिल्ली। भारत में क्रिकेट का काफी खुमार है। लोग केवल इसे देखना ही नहीं, बल्कि खेलना भी पसंद करते हैं। ऐसे में क्रिकेट में करियर बनाने को लेकर स्टार महिला क्रिकेटर स्मृति मंधाना ने अहम सलाह दी है। मंधाना ने कहा है कि स्कूल क्रिकेट खेलना शुरू करने का सही समय है, क्योंकि उस उम्र में कोई भी खेल को अच्छी तरह से सीख सकता है। बता दें कि नौ साल की उम्र में ही मंधाना ने अंडर-15 महाराष्ट्र महिला टीम का प्रतिनिधित्व करना शुरू कर दिया था। 11 साल की उम्र में वह राज्य की अंडर-19 टीम का हिस्सा थींं। अक्टूबर 2013 में, वह एक दिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक ह लगाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उसी वर्ष, उन्होंने महाराष्ट्र सीनियर टीम में स्थान हासिल किया और भारतीय टीम के लिए टी20 में पदार्पण भी किया।
रेड बुल क्रिकेट चैलेंज जीतने के बाद जतिन सप्रू से बात करते हुए भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ओपनिंग बल्लेबाज ने खेल में स्कूल के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘हां, निश्चित रूप से। मुझे लगता है कि स्कूल क्रिकेट खेलना शुरू करने का सही समय है। जब आप सात से 14 साल के होते हैं, तब आप वास्तव में खेल को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। मुझे लगता है कि स्कूल है एक सही समय। मुझे याद है जब मैं स्कूल में थी- मैं पांच साल की उम्र से क्रिकेट से प्यार करती थी, लेकिन मेरे लिए खेलने वाले साथी ढूंढना बहुत मुश्किल था। मेरे दोस्त क्रिकेट नहीं खेलते थे और स्कूल स्तर महिला क्रिकेट के लिए कुछ भी नहीं था। इसलिए मैं ज्यादातर लड़कों के साथ खेलती थी।’ खुद प्रेरित होने वाली लड़कियों के बारे में बात करते हुए, 25 वर्षीय स्टार क्रिकेटर मंधाना ने कहा, ‘सबसे पहले, मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहती हूं। मुझे लगता है कि किसी को प्रेरित करना काफी बड़ी उपलब्धि है। भले ही मैं चार लड़कियों को बल्ला और गेंद उठाने के लिए प्रेरित कर सकूं। यह मेरे लिए एक उपलब्धि होगी। मैं केवल एक संदेश दूंगी, जो मैंने सीखा है और अपने क्रिकेट जीवन में लागू किया है और वह है हर पल का आनंद लेना। प्रत्येक अभ्यास सत्र का आनंद लें। वहां जाएं और खुद के लिए कुछ करने की कोशिश करें।’ मंधाना ने आगे कहा, ‘कई बार, आप कुछ सिर्फ इसलिए करते हैं, क्योंकि यह आपके कोच या आपके माता-पिता करने को कहते हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता इससे कुछ परिणाम हासिल होता है। जब आप इसे अपने लिए करते हैं और प्रक्रिया का आनंद लेते हैं, तो अपने आप परिणाम देखने को मिलता है। यही वह चीज है, जो मैं करने की कोशिश करती हूं। मैं कोशिश करती हूं और प्रत्येक गेंद का आनंद लेती हूं, जो मैं खेलती हूं। यहां तक कि जब मैं आउट ऑफ फॉर्म रहती हूं तब भी। हालांकि, यह बहुत कठिन है, मैं कोशिश करती हूं और पूरे अभ्यास सत्र का आनंद लेती हूं। यह 100% परिणाम की गारंटी नहीं देता है, लेकिन यह परिणाम में बदलने का सबसे अच्छा मौका है।’ बता दें कि 2018 में,स्मृति टी-20 में 1000 रन बनाने वाली तीसरी भारतीय महिला बनीं। इसी साल उन्होंने अपनी उपलब्धियों के लिए अर्जुन पुरस्कार प्राप्त किया। साथ ही वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर के लिए राचेल हेहो-फ्लिंट पुरस्कार प्राप्त किया और उन्हें वर्ष का एकदिवसीय खिलाड़ी नामित किया गया। 2019 में, वह भारत की सबसे कम उम्र की टी 20 कप्तान बनीं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर का पुरस्कार मिला। वह सबसे तेज 2,000 एकदिवसीय रन बनाने वाली तीसरी महिला क्रिकेटर बनीं।