राज्य की संस्कृति के बजाय संघ से प्रभावित: गौरव गोगोई

गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को राज्य विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन गाय संरक्षण विधेयक का कानून पेश किया। यह कानून भाजपा शासित राज्यों के समान है। गाय संरक्षण विधेयक पर कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने अपनी तिखी प्रतिक्रया दी है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने मंगलवार को कहा कि असम के गाय संरक्षण विधेयक में बदलाव राज्य की संस्कृति के बजाय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से प्रभावित हैं।

एएनआई से बात करते हुए, गोगोई ने कहा असम में गाय संरक्षण विधेयक मौजूद है, जिसमें सब कुछ शामिल है। अगर सरकार बदलाव लाना चाहती है, तो वे इसमें संशोधन कर सकते हैं। हमारी संस्कृति गोरक्षा को प्रोत्साहित करती है। हमारे पास बिहू के दौरान गायों के लिए एक समर्पित दिन भी है। कांग्रेस नेता ने कहा विधेयक को हमारी संस्कृति के अनुसार बदलना चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश की तरह यहां भी बदलाव लाया जा रहा हैं, जिसका मतलब है कि यह विधेयक आरएसएस से आ रहा है। उन्होंने आगे कहा डेयरी फार्मिंग से जुड़े लोगों को कोल्ड स्टोरेज की सुविधा की जरूरत है। सरकार को उनके लिए काम करना चाहिए।

विधेयक में गायों के वध की रोकथाम का प्रावधान है। केवल 14 वर्ष से अधिक उम्र की गायों या काम, प्रजनन, दुर्घटना या विकृति के कारण स्थायी रूप से अक्षम होने वाली गायों को वध के लिए प्रमाणित किया जाएगा। विधेयक में प्रावधान है कि उन क्षेत्रों में गोमांस या उसके उत्पादों की बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी, जहां हिंदुओं, सिखों, जैनियों और अन्य गैर-बीफ खाने वाले समुदायों की आबादी है या किसी भी मंदिर, सतरा ( वैष्णव मठ), या हिंदुओं से संबंधित अन्य धार्मिक संस्थान, या कोई अन्य संस्था या क्षेत्र जो सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया जा सकता है। गाय संरक्षण विधेयक का उल्लंघन करने वालों को तीन से आठ साल के बीच कहीं भी कैद करने का प्रस्ताव है। इसमें ₹3 लाख से ₹5 लाख के बीच जुर्माने का भी प्रावधान है।

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