देहरादून: विधानसभा चुनाव-2022 से ठीक पहले कांग्रेस ने सख्ती दिखाते हुए पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से सभी जिम्मेदारियां वापस ले ली हैं। बीजेपी से नजदीकि बढ़ाने पर हाईकमान ने सख्ती दिखाई है। साथ ही, सूत्राें की मानें तो पार्टी की विचारधारा के खिलाफ बाेलने की वजह से भी उपाध्याय पर सख्ती की गई है।किशोर को इससे पहले भी कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन आज कांग्रेस ने सख्ती दिखाते हुए उपाध्याय से सभी अहम जिम्मेदारियां वापस ले ली हैं।
कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले पूर्व अध्यक्ष किशोर से सभी जिम्मेदारियां वापस लेते हुए सभी को चौंका दिया है। पिछले कई हफ्तों से किशोर के भाजपा जाने की चर्चाओं का बाजार बहुत गर्म था। इसी के बीच उपाध्याय ने साफ किया था कि वह किसी भी सूरत में कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन नहीं करेंगे। कहा था कि कांग्रेस में रह कर ही वह टिहरी से ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने की बातों को उन्होंने अफवाह करार दिया।
उपाध्याय को लेकर लंबे समय से ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी और उनके हर मूवमेंट को संदेह की नजर से देखा जा रहा था। कभी पीएम नरेंद्र मोदी की देहरादून में हुई रैली में उनके भाजपा में शामिल होने की अफवाह उड़ी। कभी उनके सपा में जाने की चर्चा रही। यहाँ तक की वो लखनऊ जाकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से भी मिले । अटकलों के दौर के बीच किशोर ने कहा था कि वनाधिकार के मुद्दे पर वे सभी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं।
44 साल से कांग्रेस से जुड़े हैं किशोर
किशोर उपाध्याय वर्ष 1978 से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। पार्टी के साथ उनका लंबा साथ रहा है। वर्ष 2002 और वर्ष 2007 में वे टिहरी से विधायक रहे। वर्ष 2012 में वे टिहरी से चुनाव हार गए थे। 2017 में वे अपनी परंपरागत सीट टिहरी को छोड़ कर चुनाव लड़ने देहरादून सहसपुर सीट पर पहुंचे। यहां से भी उन्हें हार मिली। 2014 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वे 1991 से ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे।