लूटी महफिल!:पुष्कर की अगुवाई में चुनावी अश्वमेध यज्ञ की फूंकी रणभेरी

 

 देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देहरादून के परेड मैदान पर चिर-परिचित पुराने आक्रामक अंदाज और भरपूर लय में थे। उत्साही भीड़ के सामने चुनावी अश्वमेध यज्ञ की रणभेरी फूंकी। साथ बैठे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पीठ ठोंकी। कुछ इस अंदाज में कि मानो अवाम को साक्षात ये बताना चाह रहे हों कि मैंने आपको ये उत्साही और ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री दिया है। इनको पूरे पाँच साल सेवा करने देने का सुनहरा मौका आपके पास है। इसको भुनाइए। काँग्रेस को खुल के चुनौती दी। उसकी खामियों से उत्तराखंड को हुए नुक्सान गिनाए। पाँच साल में उत्तराखंड को मिले एक लाख करोड़ की विकास योजनाओं को पेश कर ये समझाने की कोशिश की कि डबल इंजन की सरकार के माने और फायदे वास्तव में क्या होते हैं। भाषण के एक-एक बिन्दु पर मेहनत और जबर्दस्त तैयारी की छाप नजर आई। साफ दिखाई दिया कि मोदी के एजेंडे में उत्तराखंड में भगवा फहराना किसी भी सूरत में यूपी फतह से कम अहम नहीं है। 18 हजार करोड़ रूपये की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण आज कर के प्रधानमंत्री ने इस राय पर मुहर भी लगाई। जब से पुष्कर मुख्यमंत्री बने हैं मोदी ये जाहिर करने से बिल्कुल भी नहीं सकुचाए हैं कि वह उनके सबसे प्रिय-पसंदीदा-विश्वासपात्र हैं। भविष्य की बीजेपी के प्रमुख चेहरे के तौर पर उनको देखते हैं। उनको अपना मित्र बोलने से भी नहीं हिचकते हैं। आज जब वह धारा प्रवाह-प्रभावशाली भाषण से लोगों में जोश भर रहे थे तो सरकार और बीजेपी की उपलब्धियों का कोई भी बिन्दु अछूता नहीं रहा। साथ-साथ ही पुष्कर को देवभूमि के भविष्य की आशा के तौर पर मजबूती से स्थापित करने की दिशा में कोशिश करते दिख रहे थे। काँग्रेस का नाम लिए बगैर उस पर जम के वार किए। जाति-धर्म के नाम पर सियासत कर वोट बटोरने के आरोप लगाए। बोले कि वोट बैंक का तुष्टिकरण ही इकलौती कोशिश रहा। प्रधानमंत्री ने ये साफ किया कि अगर केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार हो या फिर वह पार्टी बीजेपी हो तो उत्तराखंड को उसके क्या फायदे हो सकते हैं। काँग्रेस राज में सिर्फ 6 सौ करोड़ और बीजेपी राज में 12 हजार करोड़ रूपये राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में खर्च का जिक्र, केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों से आस्थावानों के चित्त को खुशी और पहाड़ों में बेरोजगारों को मिले काम तथा कारोबार में उछाल का प्रमुक्ता से उल्लेख किया। ऐसा कोई पहलू मोदी ने नहीं छोड़ा, जो चुनावी महासमर में पार्टी के लिए अस्त्र-शस्त्र-मंत्र की भूमिका निभा सकते हों।

महिलाओं को लुभाने के लिए नल से जल के लिए जल जीवन मिशन की कामयाबी को पेश करते हुए ये भी पूछा कि इसके बदले में माताएँ-बहनें हमको अपना आशीर्वाद देंगी कि नहीं? उनके भाषण के केंद्र में दिल्ली-देहरादून हाइवे से दूरी आधी हो जाने, आर्थिक गलियारे से अर्थ व्यवस्था में संभावित उछाल, 3 मेडिकल कॉलेज छोटे से उत्तराखंड राज्य को दिया जाना शामिल रहा। सैनिकों-पूर्व सैनिकों तथा उनके परिवारों को आकृष्ट करने की कोशिश की। इसके लिए पहाड़ को सांस्कृतिक आस्था के गढ़ के साथ ही देश की सुरक्षा की कील भी करार दिया। काँग्रेस पर इसी बीच नाम लिए बिना वार कर डाला कि जो पार्टी दशकों तक सरकार में रही, उसने सिर्फ अपनी तिजोरी भरने में ध्यान दिया। अपनों का ख्याल ही रखा।

प्रधानमंत्री ने बीजेपी सरकार में हुए विकास कार्य एक-एक कर गिनाए। सामने बैठे लोगों से हुंकार भरते हुए जोशीले अंदाज में पूछते भी रहे कि `आप इसे काम मानते कि नहीं? इससे उत्तराखंड का भला होगा कि नहीं’ दुगुनी जोश में जनता का शोर होता, हाँ ये काम है। मोदी फिर दूसरी उपलब्धियां गिनाने माइक पर आगे बढ़ जाते। उन्होंने ये भी पूछने में कोताही नहीं की कि बीजेपी सरकारों के कार्यों से भावी पीढ़ी को लाभ होगा कि नहीं? उनका भाग्य चमकेगा कि नहीं? जाहिर है कि मोदी रंग में रची-बसी भीड़ का जवाब हाँ में आना था। इससे मोदी का जोश दूना-चौगुना दिखता। कुर्सी पर बैठे मुख्यमंत्री के हाथ ताली बजाने लगते। बाकी लोगों के हाथ भी अनुसरण करते। सामने बैठे लोगों के उत्साह को देख उनके चेहरों पर मुस्कान तैरती। मोदी ने ये कहते हुए 5 साल पहले देहरादून के इसी मैदान पर हुई अपनी जनसभा की याद दिलाई कि पुरानी बातें कहने का जिगर राजनेता नहीं रखते हैं। मुझमें ये ताकत है। मैंने तब कहा था, `उत्तराखंड का पानी और उत्तराखंड की जवानी’उत्तराखंड के काम आएगी। हमारी सरकार ने इसे कर दिखाया। उन्होंने कहा कि पहले की अन्य दल की सरकार उत्तराखंड के लोगों को मजबूत करने के बजाए मजबूर बनाए रखने की साजिश करती रही। हमारी कोशिश उत्तराखंड को आश्रित नहीं बल्कि आत्म निर्भर बनाने की रही है। इसमें लगातार सफल हो रहे। आने वाले चंद सालों में उत्तराखंड अपनी स्थापना की रजत जयंती मनाएगा। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसको वह हासिल नहीं कर सकता है। उसके पास पुष्कर सरीखा युवा और नेतृत्व है। अनुभवी और आला नेताओं की श्रंखला है। कोविड वैक्सीनेशन के मामले में उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य का तमगा देते हुए भी उनकी तारीफ के केंद्र में पुष्कर रहे। ऐसा करने का मौका मोदी लगता है तलाशते रहते हैं। 5 महीने से भी कम वक्त की सरकार चलाने वाले पुष्कर की वह जितनी बार खुल के प्रशंसा कर चुके हैं, उतनी उन्होंने देश में किसी अन्य बीजेपी राज्य के मुख्यमंत्री की शायद ही की हो। मोदी के अंदाज में उनको पार्टी के भविष्य के अग्रणी नेताओं की पंक्ति में मजबूती से खड़ा करने की कोशिश झलकती रहती है। वह आज फिर दिखी।

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