लखनऊ -: उत्तराखंड महोत्सव का समापन धूमधाम के साथ हुआ। समापन समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे। उनके अलावा सांसद रीता बहुगुणा कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड स्वामी यतीश्वरानंद आदि भी मौजूद रहे।
दस दिनों तक गोमा तट पर पर्वतीय संस्कृति की अदभुत छटा बिखेरने के बाद गुरुवार को उत्तराखंड महोत्सव विदा हो गया। उत्तराखंड महापरिषद की ओर से पं. गोविंद बल्लभ पंत उपवन में आयोजित दस दिवसीय उत्तराखंड महोत्सव का शुभारंभ बीते 9 नवम्बर को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया था। अंतिम दिन गुरुवार को समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे। उन्होंने स्व. मोहन सिंह विष्ट को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद दीप प्रज्वलित कर सांध्यकालीन कार्यक्रमों का शुभारंभ किया।
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मैं सीएम बनने के बाद पहली बार लखनऊ आया हूं। महोत्सव में अपने उत्तराखंडी बंधुओं के बीच आकर हर्ष की अनुभूति हो रही है। इस दौरान उन्होंने कामना बिष्ट को नृत्य निर्देशिका के क्षेत्र में तथा महेंद्र गैलाकोटी को संगीत निर्देशन में कार्य करने के लिए सम्मानित किया। वहीं, महापरिषद के अध्यक्ष हरीश चंद्र पंत ने अतिथियों का महोत्सव में आने के लिए आभार जताया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड महपरिषद को 21 लाख रुपए का अनुदान देने के साथ ही कलाकारों को प्रोत्साहन स्वरूप दो -दो हजार रुपये देने की घोषणा की।
एक विशेष ट्रेन मुख्यमंत्री धामी ने लखनऊ से रामनगर के लिए केंद्र सरकार से चलाने हेतु मांग की है
पारंपरिक परिधानों में पेश किया झोड़ा
महोत्सव के आखिरी दिन एकल नृत्य प्रतियोगिता में 15 प्रतियोगियों ने भाग लिया। जिसमें आद्या बिष्ट ने बाजी मारी। मीडिया प्रभारी अशोक असवाल ने बताया कि अल्मोड़ा से आए छोलिया दल द्वारा अपने वाद्य यंत्रों व युद्ध कौशल नृत्य से धूम मचाई। सुरेन्द्र राजेश्वरी द्वारा मंच संचालन तथा अपने गायन से दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। उत्तराखंड के पारंपरिक परिधान से सजी संवरी महिलाओं ने झोड़ा की प्रस्तुति दी। जिसमें फस्र्ट कुर्मांचनगर, सेकेंड कल्याणपुर और थर्ड रामलीला समिति तेलीबाग तथा सांत्वना पुरस्कार पंतनगर को मिला।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बही बयार
शाम को सांस्कृतिक मंच पर नृत्य धाम के कलाकार द्वारा निशि तिवारी के नेतृत्व में श्रीगणेश वंदना के साथ शिव स्तुति की भक्तिमय प्रस्तुति दी गई। इसके बाद में गुजराती एवं पंजाबी नृत्य की सुंदर प्रस्तुति दी गई। दिव्या उपाध्याय के नेतृत्व में नंदा राजजात यात्रा का सुंदर मंचन किया गया। वहीं, उत्तराखण्ड महापरिषद रंगमंडल के कलाकारों ने थडिय़ा-राणीखेता राम डोला तथा झोड़ा-बागेश्वरा की विमला छोरी प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया
इससे पहले 9 नवंबर को उद्घाटन समारोह में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने कहा कि देश की रक्षा सेनाओं में उत्तराखंड के युवाओं का योगदान है. उत्तराखंड से आने वाली नदियों का पावन जल हम सबको शुद्ध पेय जल के रूप में जीवन देने का कार्य करता है.
उत्तराखंड राज्य आज अपनी 21वीं वर्षगांठ मना रहा है. इसी अवसर पर यूपी की राजधानी लखनऊ में उत्तराखंड महोत्सव-2021 के कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसके उद्घाटन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने देश को बहुत कुछ दिया है. उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत, देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उत्तराखंड के रहने वाले हैं.
देश की रक्षा में उत्तराखंड के युवाओं का योगदान
सीएम योगी ने आगे कहा कि देश की रक्षा सेनाओं में उत्तराखंड के युवाओं का योगदान है. उत्तराखंड से आने वाली नदियों का पावन जल हम सबको शुद्ध पेय जल के रूप में जीवन देने का कार्य करता है. अन्न उत्पादन के माध्यम से हमारा भरण-पोषण करता है.
उत्तराखंड वासियों को दी शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इस खास मौके पर उत्तराखंड वासियों को शुभकामनाएं भी दी हैं. उन्होंने कूट कर लिखा है, “प्राकृतिक सुरम्यता व सुष्मिता से पूरित तथा सनातन संस्कृति के अनेक प्रतीकों को संजोए देवभूमि उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस की सभी उत्तराखंड वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. ईश्वर से प्रार्थना है कि यह रमणीय प्रदेश प्रगति-पथ पर निरंतर गति करता रहे.”
उत्तराखंड के मूल निवासी हैं
बता दें कि योगी आदित्यनाथ मूलरूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं. उनका जन्म उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश था) के पौड़ी जिला स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के राजपूत परिवार में हुआ था. उनका मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है.
क्या है उत्तराखंड का इतिहास?
9 नवंबर साल 2000 में उत्तराखंड का निर्माण हुआ था. उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी के काफी सारे जिलों को जोड़कर बनाया गया. इसके अलावा हिमालय माउंटेन रेंज के कुछ हिस्से को भी उत्तराखंड के निर्माण को बनाने में जोड़ा गया. बता दें कि पहले इसका नाम उत्तरांचल था, लेकिन 2007 में इसे बदल कर उत्तराखंड कर दिया गया. साल 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से पुकारा जाता था, लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया. राज्य स्थापना के 21 साल बाद भी उत्तराखंड को स्थायी राजधानी नहीं मिल सकी है. देहरादून आज भी अस्थायी राजधानी है और गैरसैंण को बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया.।
उन्होंने कहा कि यह जल दुनिया भर का पेट भरने के लिए भी मुख्य स्रोत है. उत्तराखंड का पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है. यदि उत्तराखंड का पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तो देश खुशहाल रहेगा. उत्तराखंड की पावन भूमि ने देश को बहुत कुछ दिया है. देश की रक्षा सेनाओं में उत्तराखंड के युवाओं का बहुत योगदान है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी के पहले सीएम पंडित गोविंद बल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा, पंडित नारायण दत्त तिवारी, सीडीएस जनरल बिपिन रावत और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जैसी शख्सियत उत्तराखंड की देन है. उत्तराखंड का पर्यावरण ही नहीं, वहां की बोली-भाषा को बचाए रखने का प्रयास सबको करना होगा.
सीएम योगी ने कहा कि पर्वतीय लोक परंपरा के पीछे एक इतिहास है. उसको संरक्षित किए जाने की आवश्यकता है. व्यापक पैमाने पर जलसंरक्षण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों से हम कटान को रोक सकते हैं. नवंबर के अंत से लेकर दिसंबर तक जब दिल्ली का माहौल दमघोंटू हो जाता है तब हर कोई उत्तराखंड की तरफ भागता है.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तराखंड के साथ यूपी की सरकार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सहयोग करेगी. यूपी में ही वर्ष 2017 से अब तक 100 करोड़ पौधे रोपित किए गए हैं. इसमें यूकेलिप्टस नहीं, उनकी जगह पीपल, पाकड़ व बरगद, नीम इमरती और फलदार पौधे लगाए गए हैं. महापरिषद इस दिशा में बेहतर प्रयास कर रहा है. आज पूरी दुनिया कोरोना से पस्त है. अमेरिका, यूके, यूरोप, रूस व चीन पस्त हैं, लेकिन यूपी में पूरी भव्यता के साथ उत्तराखंड महोत्सव मनाया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने पर्यावरणविद पद्मश्री अनिल प्रकाश जोशी और आरएसएस के ब्रज क्षेत्र के प्रांत प्रचारक हरीश रौतेला को उत्तराखंड गौरव सम्मान प्रदान किया. इस मौके पर मंत्री आशुतोष टंडन, महेंद्र सिंह, ब्रजेश पाठक भी मौजूद थे.