वाशिंगटन। अफगानिस्तान से अपनी सेना बुला लेने के बाद अमेरिका को वहां की महिलाओं को लेकर चिंता सताने लगी है क्योंकि तालिबानी शासन का सबसे बुरा असर महिलाओं पर ही होता है। इस क्रम में वहां जिस महिला वर्ग पर अधिक खतरे की आशंका है उन्हें अमेरिका तत्काल वीजा जारी करने को लेकर विचार कर रहा है। मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि महिला अधिकारों के लिए काम करने वालीं और अन्य क्षेत्रों में सक्रिय महिलाओं को तालिबान के चंगुल में फंसेने से पहले निकाला जाना चाहिए।
महिला अधिकारों की कार्यकर्ताओं ने बाइडन प्रशासन से 2 हजार वीजा उपलब्ध कराने को कहा है। वीजा की यह मांग विशेषकर कमजोर महिलाओं के लिए की गई है जिनपर अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से वापसी के बाद खतरा हो सकता है। खामा प्रेस के अनुसार अफगानिस्तान से करीब 18,000 अनुवादकों ने स्पेशल इमिग्रेशन वीजा के लिए आवेदन किया है । बाइडन प्रशासन अफगान महिला राजनेताओं, पत्रकारों व कार्यकर्ताओं के लिए वीजा जारी करने पर विचार कर रही है। इसमें मानवाधिकार समूहों द्वारा न केवल महिलाओं बल्कि पुरुषों व अल्पसंख्यकों के लिए भी वीजा की मांग की गई है। तालिबान ने हाल में ही कहा था कि अमेरिकी सैन्य अभियान में जिन लोगों ने योगदान दिया उन्हें अपने किए पर पछताना पड़ेगा और इसके बाद वे आजाद होंगे। मानवाधिकार समूह ने व्हाइट हाउस को जानकारी दी कि पत्रकार, कार्यकर्ता और राजनेता तालिबान के निशाने की सूची में हैं। बता दें कि अमेरिका के 90 फीसद सैनिक पहले ही अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं। सितंबर तक यहां मौजूद सभी अमेरिकी सैनिकों की स्वदेश वापसी हो जाएगी। जर्मनी समेत बाकी कई नाटो देशों की सेनाएं पहले ही अफगानिस्तान से जा चुकी हैं। इस बीच तालिबान का देश के विभिन्न हिस्सों पर कब्जा किया जाना जारी है। इससे ही यहां के मानवाधिकार कार्यकर्ता समेत महिला वर्ग खासे चिंतित हैं।