देहरादून: आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चल रही सियासी उठापठक के बीच कांग्रेस ने अप्रत्याशित रूप से भाजपा को जो झटका दिया, उसके बाद से भाजपा व कांग्रेस के मध्य वाकयुद्ध भी शुरू हो गया है। साथ ही दोनों पार्टियां अब अपना-अपना घर संभालने की कोशिश में जुट गई हैं। इस क्रम में रूठों की मान-मनुहार की जा रही तो असंतुष्टों के प्रति सुर भी बदले हैं। साफ है कि अब दोनों ही दल अपने घरों को सेंधमारी से बचाने की जुगत में लगे हैं। वजह ये कि भाजपा को फिर से सत्ता हासिल कर मिथक तोडऩा है तो कांग्रेस को भी अब उम्मीद की किरण दिख रही है।
विधानसभा चुनाव की घोषणा भले ही अभी न हुई हो, लेकिन भाजपा ने तो काफी समय पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। अब भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दल मैदान में उतर चुके हैं। इसी के साथ पाला बदल का क्रम भी शुरू हुआ है। इसकी शुरुआत भी भाजपा से हुई। पार्टी ने पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार के साथ ही दो निर्दलीय विधायकों प्रीतम सिंह पंवार (धनोल्टी) व राम सिंह कैड़ा (भीमताल) को अपने पाले में खींचा। इसके जवाब में कांग्रेस ने भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य और उनके पुत्र विधायक संजीव आर्य की घर वापसी कराकर भाजपा को झटका दिया। इस सियासी उठापठक के बाद अब दोनों ही दलों के नेताओं के बीच तलवारें खिंची हैं और वे एक-दूसरे पर जमकर जुबानी तीर भी छोड़ रहे हैं। हालांकि, इस वाकयुद्ध को अपनी-अपनी खीझ मिटाने से जोड़कर भी देखा जा रहा है, लेकिन असल बात तो ये है कि अंदरखाने दोनों ही दल अपने-अपने घरों में आगे सेंधमारी न हो, इस मुहिम में जुटे हैं। इसके लिए विधायकों के साथ ही असंतुष्ट अथवा नाराज बताए जा रहे नेताओं से पार्टी के प्रांतीय नेता निरंतर संपर्क साध रहे हैं। साथ ही उनकी मान-मनुहार के साथ ही भविष्य का वास्ता भी दिया जा रहा है।
भाजपा के सूत्रों के मुताबिक आगामी कार्यक्रमों के बहाने विधायकों से निरंतर संपर्क किया जा रहा है। साथ ही उनकी दिक्कत परेशानी समेत सियासी मसलों की चर्चा कर मन भी टटोला जा रहा है। नाराज और असंतुष्ट बताए जा रहे विधायकों के करीबियों के साथ ही कार्यकत्र्ताओं से फीडबैक लिया जा रहा है, ताकि कहीं भी कोई आशंका नजर आने पर तुरंत इसके समाधान को नेतृत्व जुट सके। वजह ये कि पिछले चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था और उसके सामने इसे दोहराने की चुनौती। साथ ही पार्टी उस मिथक को तोडऩे की तैयारी में है, जिसमें हर पांच साल में सत्ताधारी दल बदल जाते हैं। ऐसे में पार्टी अब कोई कोर-कसर छोडऩे के मूड में नहीं है। कांग्रेस की बात करें तो पूर्व मंत्री यशपाल आर्य और उनके पुत्र की पार्टी में वापसी कराने के बाद पार्टी में उत्साह का संचार अवश्य हुआ है। इसे बनाए रखने के साथ ही कांग्रेस में अब टूट-फूट न हो, इस लिहाज से भी कांग्रेस का प्रांतीय नेतृत्व सक्रिय है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी से किन्हीं कारणों से नाराज चल रहे नेताओं, विधायकों से पार्टी के बड़े नेता संपर्क कर उन्हें साधने में जुट गए हैं।