हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय मेंटल हेल्थ की कवरेज को ना करें नजरंदाज

नई दिल्ली। अच्छी जिंदगी जीना हर इंसान का मूल अधिकार होता है। अच्छी जिंदगी के अर्थ को शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में परिभाषित किया जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) (2019) के अनुसार, लगभग 9 करोड़ भारतीय किसी ना किसी मानसिक समस्या से गुजर रहे हैं और यह आंकड़ा महज उन लोगों का है जिन्होंने मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित मदद मांगी है। इसका मतलब ये हुआ कि यह संख्‍या और ज्‍यादा बड़ी हो सकती है क्‍योंकि इस आंकड़े में वे लोग शामिल नहीं हैं जिन्‍होंने किसी भी कारण से पेशेवर मदद नहीं ली है।

ऐसा माना जाता है कि कई लोग अभी भी मानसिक सेहत को एक सामाजिक कलंक के रूप में मानते हैं। तेजी से भागती-दौड़ती लाइफस्टाइल और कोविड -19 महामारी ने स्थिति को और मुश्किल बना दिया है, लंबे समय तक सेहत से जुड़ी समस्याएं, नौकरी की छंटनी, वेतन-कटौती, तनाव और वायरस के खतरे के कारण उत्पन्न होने वाली चिंता, नींद में गड़बड़ी, डिप्रेशन आदि मानसिक स्वास्थ्य को और बिगाड़ रही है। इसके बावजूद, ज्यादातर लोगों के लिए मानसिक स्वास्थ्य उतनी बड़ी चिंता का विषय नहीं है। इस वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के मौके पर आइये हम सब “मानसिक स्वास्थ्य सेहत का एक अभिन्न अंग है” के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए थोड़ा प्रयास करें। इससे लोगों को अपनी मानसिकता को बढ़ाने में और मानसिक सेहत से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने में मदद मिलेगी। इससे वे अपनी जरूरत के अनुसार प्रोफेशनल मदद ले पायेंगे।

शुरूआती सांकेतिक संकेतों को नजरअंदाज करने पर ज्यादातर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बिगड़ जाती हैं / गंभीर हो जाती हैं। मानसिक बीमारी के कुछ सांकेतिक लक्षण इस प्रकार हैं: असामान्य खान-पान, अनिद्रा, थकान, अलगाव, सहानुभूति की कमी, असहायता की भावना, नशे का सेवन, मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, आत्महत्या के विचार, दैनिक कामों को करने में असमर्थता आदि।यदि इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक बना रहता है तो उस पर ध्यान देना और डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। शारीरिक और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के माध्यम से एक बार मानसिक बीमारी, उसके प्रकार और और उसकी गंभीरता का पता चल जाता है, तो जल्द से जल्द सही उपचार मिल जाता है। उपचार का तरीका अलग-अलग होता है, यह या तो मनोचिकित्सा, दवा, वैकल्पिक चिकित्सा, या इन तीनों का मेल हो सकता है। सभी चरणों में, उचित मार्गदर्शन के साथ निरंतर देखभाल और सहयोग से मदद मिलती है। यह मानना बहुत जरूरी है कि हम सभी अलग-अलग इंसान हैं, इसलिए, एक व्यक्ति के लिए जो कारगर होता है वह दूसरे के लिए कारगर नहीं रह सकता। ऐसे में सही उपचार और जांच के लिए उचित चिकित्सा परामर्श आवश्‍यक है।

मेंटल हेल्थ डे, पिछले 30 वर्षों से मनाया जा रहा है, लेकिन अभी भी सही दिशा में एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। कई मामलों में, मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों वाले लोग खुद के लिए निर्णय नहीं ले पाते हैं। ऐसे में व्यक्तिगत रूप से सावधान रहना आवश्यक है; यदि परिवार का कोई सदस्य, मित्र या सहकर्मी परेशान लगे या उनका स्वभाव सामान्य ना लगे, तो उस व्यक्ति को तुरंत सहायता और सहयोग देना चाहिये। लोगों के लिए व्यक्तिगत और व्यवसायिक दोनों ही स्थितियों में सहानुभूति महत्वपूर्ण होती है। हमें इस बात को लेकर भी संवेदनशील होना चाहिये कि किसी भी मानसिक बीमारी से पीड़ित लोग अक्सर परिवार और दोस्तों से अपनी जरूरत और स्थिति को स्वीकार करने के लिए लगातार आश्वासन मांगते हैं। थोड़ी ज्यादा सहानुभूति और सहयोग के साथ, आप पीड़ित को ठीक होने के रास्ते पर लाने में मदद कर सकते हैं। सितंबर, 2020 तक, मानसिक स्वास्थ्य को अधिकांश नियमित क्षतिपूर्ति स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के अंतर्गत कवर नहीं किया जाता था। नियमों में हालिया बदलावों के साथ, स्वास्थ्य बीमा यानी हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा व्यापक हुआ है। मानसिक बीमारी के लिए कवरेज शामिल करने के लिए एसबीआई जनरल द्वारा पेश की जाने वाली सभी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का विस्तार किया गया है। इस प्रकार, एसबीआई जनरल आपको पूर्ण सुरक्षा और भरोसा दोनों का विश्वास दिलाता है। एसबीआई जनरल में, हम सिर्फ एक बीमा योजना से परे भी सोचते हैं और इसलिए हमने 7 मिनट्स टू गुड हेल्थ  हेल्थ प्रॉपर्टी की पेशकश की है जोकि बहुत आम नहीं है। यह रोज केवल 7 मिनट दैनिक अभ्यास करने के बुनियादी और सरल श्वास तकनीक पर जोर देती है और यह आपके बॉडी और माइंड में बदलाव लाने में मदद करेगा।

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