देहरादून। गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री के रूप में राजनीतिक उत्कर्ष के 20 वर्ष पूरे करने का श्रेय नरेन्द्र मोदी ने नम्रतापूर्वक देवभूमि उत्तराखंड को दिया। मोदी ने इस खास मौके पर समारोह के लिए उत्तराखंड में गंगा तट पर तीर्थनगरी ऋषिकेश को चुना। अगले साल उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी चुनाव होने हैं। ऐसे में ऋषिकेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के राजनीतिक मायने भी हैं। गंगा की निर्मलता के लिए छेड़ी गई नमामि गंगे मुहिम से उनके भावनात्मक जुड़ाव को भी इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रतीकों की राजनीति में अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि गुरुवार को धर्मनगरी ऋषिकेश के उनके दौरे के राज्य से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में नए मायने तलाश किए जाने लगे। दरअसल मोदी ने सात अक्टूबर को ही गुजरात के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था। बाबा केदार के भक्त नरेन्द्र मोदी राजनीति में पदार्पण करने से पहले केदारनाथ के समीप गरुड़ चट्टी में बतौर साधक रह चुके हैं। इस दौरान अर्जित की गई आध्यात्मिक शक्ति को विभिन्न महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने का श्रेय देने से उन्होंने गुरेज नहीं किया। ऋषिकेश दौरे में अपने संबोधन में उन्होंने खुले मन से इसे स्वीकार किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तराखंड की भूमि से उनका नाता मर्म और कर्म दोनों का रहा है। 20 साल पहले जनता की सेवा की जिम्मेदारी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मिली थी। ये संयोग है कि उत्तराखंड का गठन 2000 में हुआ और उनकी यात्रा 2001 से प्रारंभ हुई। वहां से प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने की कल्पना भी नहीं की थी। आज यह जिम्मेदारी 21वें वर्ष में पहुंच गई है। ऐसे मौके पर हिमालय की तप भूमि आना सौभाग्य की बात है।
मोदी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर अपने पहले लोकसभा चुनाव और फिर बतौर प्रधानमंत्री उत्तरप्रदेश के पिछले चुनाव के दौरान कह चुके हैं कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है। गंगा स्वच्छता मोदी मिशन में प्रमुख है। गंगा तट पर बसी ऋषिकेश नगरी पहुंचकर मोदी ने गंगा के प्रति अपना लगाव भी जाहिर किया।