देहरादून: समान कार्य करने वाले विभागों के एकीकरण की कड़ी में अब सिंचाई और लघु सिंचाई विभाग का नाम जुड़ने जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विभागीय समीक्षा बैठक में दोनों विभागों के एकीकरण के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को इस सिलसिले में कैबिनेट के समक्ष जल्द प्रस्ताव रखने को कहा।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को सचिवालय में सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग के कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने प्रदेश में सिंचाई एवं बाढ़ सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया का सरलीकरण करने और बदली परिस्थितियों के अनुरूप आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल संसाधनों का प्रदेश हित में कैसे बेहतर उपयोग हो, इस पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। साथ ही राज्य में संचालित सिंचाई योजनाओं के स्वामित्व के संबंध में आपसी समन्वय से प्रभावी प्रयास किए जाने की जरूरत बताई।
मुख्यमंत्री ने जलाशयों और नहरों में जमा सिल्ट की सफाई के लिए पुख्ता व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने राज्य में भूजल की स्थिति का अध्ययन कराने और भूजल रीचार्ज के लिए छोटे-छोटे बांध एवं चेकडैम निर्माण की कार्ययोजना बनाने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने प्रस्तावित जमरानी एवं सौंग बांध के निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। साथ ही विभागीय योजनाओं के निर्माण की प्रगति की मानीटङ्क्षरग के लिए पोर्टल तैयार करने को कहा। साथ ही योजनाओं की जियो टैगिंग की व्यवस्था को अमल में लाने को कहा। उन्होंने सिंचाई निर्माण निगम के माध्यम से होने वाले निर्माण कार्यों में तेजी लाने, विभाग में उपलब्ध मानव संसाधन का सौ फीसद उपयोग करने, सिंचाई एवं लघु सिंचाई की मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अलग-अलग नीति के अनुरूप योजनाएं क्रियान्वित करने, पर्वतीय क्षेत्र में टपक सिंचाई की योजना संचालित करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। इस अवसर पर सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष मुकेश मोहन ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विभागीय कार्यों की जानकारी मुख्यमंत्री को दी। लघु सिंचाई के विभागाध्यक्ष वीके तिवारी ने विभागीय योजनाओं और इनकी प्रगति का ब्योरा रखा। बैठक में मुख्य सचिव डा एसएस संधु, अपर मुख्य सचिव आनंद बद्र्धन, सचिव अमित नेगी, हरिचंद्र सेमवाल आदि मौजूद थे।
समीक्षा बैठक में सिंचाई विभाग की ओर से जानकारी दी गई कि प्रदेश में 3051 नहरें, 1700 नलकूपों और 268 लघु नहरों से गत वर्ष खरीफ फसल में 1.638 लाख हेक्टेयर और रबी फसल में 1.593 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई। राज्य में कुल 1282 बाढ़ सुरक्षा योजनाएं संचालित की जा रही हैं। प्रदेश में गंगा व उसकी सहायक नदियों में चरणबद्ध ढंग से बाढ़ मैदान परिक्षेत्रण की योजना क्रियान्वित की गई है।