इस बार टूटे कई रिकॉर्ड, लेकिन एक वजह से देशभर में चर्चा में रहा केदारनाथ

देहरादून : भगवान केदारनाथ के धाम के कपाट आज गुरुवार को शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस यात्रा के दौरान कई रिकॉर्ड भी टूटे। यात्रा के इतिहास में पहली बार श्रद्धालुओं का आंकड़ा 15 लाख से ज्‍यादा रहा।

वहीं यह यात्रा इस बार एक बुरे हादसे की वजह से भी देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया था। विगत 19 अक्तूबर 2022 को केदारनाथ से दर्शन कर लौटे यात्रियों को लेकर वापस आ रहा हेलीकॉप्‍टर क्रैश हो गया था। इस हादसे में पायलट सहित सात लोगों की मौत हो गई थी।

धाम से तीन किमी की दूरी पर क्रैश हुआ था हेलीकॉप्‍टर

हेलीकॉप्‍टर धाम से तीन किमी की दूरी पर क्रैश हुआ था। उक्‍त हेलीकॉप्‍टर आर्यन हेली कंपनी का था। हेलीपैड से टेकऑफ करते ही दो मिनट बाद यह हादसा हो गया। मृतक महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु राज्य के थे। मृतकों में चार महिलाएं भी थीं।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी छठवीं बार केदारनाथ पहुंचे

इस वर्ष कपाट बंदी से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी भी छठवीं बार केदारनाथ पहुंचे और बाबा केदार के दर्शन किए। इसके बाद वह बदरीनाथ धाम भी गए। बदरीनाथ धाम में पीएम मोदी दूसरी बार पहुंचे थे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने 3400 करोड़ की परियाजनाओं का शिलान्‍यास किया और चीन सीमा पर स्थित माणा गांव में जनसभा को संबोधित किया।

अपने दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास किया। वहीं इस बार यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं में खासा उत्‍साह देखने को मिला। इस वर्ष रिकॉर्ड 15 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री बाबा केदार के द्वार पहुंचे। यात्रा के दौरान बीकेटीसी, जीएमवीएन, घोड़ा-खच्चरों के संचालकों, स्‍थानीय व्‍यापारियों और हेली कंपनियों की आमदानी अच्‍छी हुई।

पिछले यात्रा काल में आए कितने तीर्थयात्री

  • 2018 में 732241
  • 2019 में 1035000
  • 2020 में 135287
  • 2021 में 242712

केदारनाथ धाम के गर्भगृह में सोने की परतें चढ़ाईं

इस बार केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में महाराष्‍ट्र के एक दानी की सहायता से सोने की परतें चढ़ाईं। इससे पहले गर्भगृह में चांदी की परतें लगी हुई थी। चांदी की परतों को हटाकर मंदिर के भंडार गृह में सुरक्षित रखा गया है। मंदिर में सोने की परतें चढ़ाने का कार्य तीन दिन में कपाट बंद होने के एक दिन पहले किया गया।

गौरीकुंड स्थित मां गौरा माई मंदिर के कपाट बंद

भैया दूज पर आज केदारनाथ साथ के साथ ही गौरीकुंड में स्थित मां गौरा माई के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। अब शीतकाल के छह माह तक मां की पूजा-अर्चना गौरी गांव के चंडिका मंदिर में होगी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तों मां गौरा के दर्शन किए।

गुरुवार को सुबह पांच बजे पुजारी ने गौरीकुंड मंदिर में मां गौरा की विशेष पूजा अर्चना कर भोग लगाया। जिसके बाद ही कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां गौरा की भोगमूर्ति को डोली में स्थापित कर श्रृंगार किया गया। ठीक सुबह 8.30 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाज के साथ मंदिर समिति की मौजूदगी में गौरा माई के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए।

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