नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर भारत में ढलान की ओर है। लेकिन इस दौरान कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों ने सर्तक करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हम निर्देशों का पालन करेंगे, तो तीसरी लहर के प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की तीसरी में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। इस बीच राहत भरी खबर यह है कि अगले कुछ महीनों में भारत को बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन मिल सकती है। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने इसकी जानकारी दी है।
अमेरिका में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वहां अब तक लगभग 40 लाख बच्चे कोरोना महामारी की चपेट में आ चुके हैं। हालांकि, भारत में अभी बच्चों में कोरोना संक्रमण की दर बेहद कम आंकी गई है। अभी तक ये राहत की बात है। इस बीच जब शुक्रवार को डॉक्टर गुलेरिया से बच्चों की वैक्सीन की प्रोग्रेस को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया, ‘भारत बायोटेक द्वारा कोवैक्सीन टीके का परीक्षण अभी बच्चों पर किया जा रहा है। अभी ये ट्रायल चल रहा है और इसके सितंबर महीने तक पूरे होने की उम्मीद है। सितंबर माह में इस वैक्सीन के ट्रायल के नतीजे घोषित हो सकते हैं।’ अगर इस वैक्सीन के नतीजे सकारात्मक होते हैं, तो जल्द ही भारत में बच्चों को वैक्सीन लगाने की घोषणा की जा सकती है।
कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर आने वाला समय थोड़ा राहत भरा हो सकता है। डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने अनुमान जताया कि आने वाले महीनों में कोरोना वायरस नाटकीय अंदाज में म्यूटेट नहीं होगा। साथ ही दोहराया कि तीसरी लहर इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग कैसा व्यवहार करते हैं। कोविड अनुकूल व्यवहार से तीसरी लहर को टाला जा सकता है और उसकी गंभीरता भी कम की जा सकती है। डा. गुलेरिया ने शुक्रवार को कहा कि हाल ही में आए सीरो सर्वे के मुताबिक, दो तिहाई आबादी में समुचित मात्रा में रोग प्रतिरोधक क्षमता है। इसके बावजूद जब तक ज्यादातर लोगों का टीकाकरण नहीं होता, भीड़ में जाने और गैर-जरूरी यात्रा से बचना चाहिए। उन्होंने उन राज्यों को आगाह किया है, जहां अब भी ज्यादा मामले आ रहे हैं। कहा कि ज्यादा मामले वाले राज्य उन राज्यों को जोखिम में डाल सकते हैं, जहां संक्रमण को प्रभावी तरीके से काबू किया गया है।