नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने नया गीत में नेताओं को लिया आड़े हाथ

उत्तरकाशी : यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक प्रकरण और विधानसभा व सचिवालय में बैकडोर नियुक्तियों को लेकर उत्तराखंड के मैदान से पहाड़ों तक घमासान मचा है।

इसी बीच गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का जनगीत आया है। शनिवार को यह गीत इंटरनेट प्लेटफार्म पर जारी किया गया। जिसमें लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने जनसेवा का चोला ओढ़ने वाले नेताओं पर जमकर कटाक्ष किया है।

पहले भी गा चुके हैं कई जनगीत
इस गीत के बोल ‘‘तुम जनसेवक राजा ह्वोग्य लोकतंत्र मा, हम त प्रजा का प्रजा ही रैग्या लोकतंत्र मा’’ हैं। इस जनगीत के जरिये नरेंद्र सिंह नेगी ने आमजन की आवाज बनने की वकालत की है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने उत्तराखंड के लोक, संस्कृति, जीवन शैली, समाज, सामाजिक कुरीतियों, पर्यावरण, जल जंगल जमीन, राजनीति पर कई गीत लिखे हैं और गाये हैं।

जनगीतों ने उत्तराखंड आंदोलन को एक दी नई धार
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कई जनगीत गाए हैं। उन जनगीतों ने उत्तराखंड आंदोलन को एक नई धार दी। राज्य बनने के बाद सत्ता और राजनीति की कुव्यवस्था पर नरेंद्र सिंह नेगी ने गीत लिखे।

रेवड़ियों की तरह लालबत्ती बांटने पर ‘‘नौछमी नारायण’’ गीत ने तो उत्तराखंड में कांग्रेस को बाहर कर रास्ता दिखाकर सत्ता परिवर्तन ही लाया। जिसके बाद भाजपा सत्ता में आयी तो नरेंद्र सिंह नेगी ने भ्रष्टाचार पर प्रहार किया।

नरेंद्र सिंह नेगी के ये गीत भी रहे चर्चा में
‘‘कमीशन कु मीट भात रिश्वत कु रैलू’’ गीत खासी चर्चाओं में रहा। इतना ही नहीं सेंसर बोर्ड ने इस गीत के वीडियो में एक पात्र का चेहरा ब्‍लर करने के आदेश दिए।

यही नहीं नरेंद्र सिंह नेगी ने नेताओं को लेकर एक गीत में बड़ा कटाक्ष किया। जो वर्तमान परिदृश्य में भी प्रासंगिकता है। यह गीत ‘‘नेता बणिक दिखौलू रे, मार ताणी आखरी दौं, पैली अपणा लगौलू रे, मार ताणी आखरी दौं’’ इन दिनों भी काफी चर्चा में है।

केवल नेताओं बच्चे नौकरी के काबिल, प्रजा के नौनिहाल किसी काम के नहीं
इसी बीच शनिवार को लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने एक जनगीत इंटरनेट मीडिया पर जारी किया है। जिसमें उत्तराखंड राज्य बनने के बाद नेताओं की लूट खसोट को उजागर किया है। साथ ही इस बात को भी गीत में इंगित किया है कि केवल नेताओं बच्चे नौकरी के काबिल हैं, प्रजा के नौनिहाल किसी काम के नहीं हैं।

अपने इस गीत में नरेंद्र सिंह नेगी ने जन आंदोलन का स्वरूप भी दिया है। जिसमें कहा कि अब हम नेताओं की धांधली और भ्रष्टाचार को नहीं चलने देंगे। अभी तक हम सुस्त थे और अब हम जागरूक हो गए हैं।

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