लंदन। यूरोप के कई देशों में कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई जा रही है। इसके अलावा यूरोपीय संघ ने तीन और कोरोना वैक्सीन को अपने यहां पर इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है। इसमें जॉनसन एंड जॉनसन, मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन शामिल है। लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि यूरोपीय संघ ने एस्ट्राजेनेका की उन्हीं खुराकों के लिए ये मंजूरी दी है जिनका उत्पादन यूरोप में हो रहा है। वहीं भारत समेत दूसरे देशों में बन रही एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की खुराक को मान्यता नहीं देता है।
इसकी वजह से एस्ट्राजेनेका की इंडियन वर्जन वाली वैक्सीन की खुराक लेने वालों को यूरोप के कुछ देशों में जाने में दिक्कत आ रही है। इतना ही नहीं यूरोपीय संघ ने जिन चार वैक्सीन को मान्यता दी है उसके अलावा यदि कोई व्यक्ति अन्य वैक्सीन लगवाकर यूरोप जाने की इच्छा रखता है तो उसको निरोशा हाथ लग सकती है। हालांकि इस संघ के सदस्य देश अपने स्तर पर विदेशियों को अपने यहां ने की मंजूरी देने और नियम बनाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। इसको लेकर अब कंपनी और यूरोपीय संघ के बीच खींचतान भी चल रही है। कुछ समय पहले सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदर पूनावाला ने इस मुद्दे को भारत सरकार के समक्ष उठाने की बात कही थी। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इस मामले को जल्द ही कूटनीतिक स्तर पर सुलझा लिया जाएगा। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है। एस्ट्राजेनेका के इंडियन वर्जन को मंजूरी न दिए जाने पर यूरोपीय संघ ने दलील दी है कि कंपनी ने इस संबंध में अपनी कागजी कार्रवाई को अब तक पूरा नहीं किया है। कंपनी की तरफ से वैक्सीन को लेकर पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है। यूरोपीय संघ के प्रवक्ता स्टीफन डे क्रिसमेकर का कहना है कि यूरोपीय संघ एस्ट्राजेनेका की इंडियन वर्जन वैक्सीन को लेकर किसी तरह की गलतफहमी में नहीं है। उनके मुताबिक यूरोपीय संघ के ड्रग रेगुलेटर इंडियन फैक्टरी की जांच के लिए बाध्य थे। वहीं एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि उसने हाल ही में वैक्सीन उत्पादन करने वाली भारतीय फैक्टरी पर यूरोपीय संघ की दवा नियामक एजेंसी को कागजी कार्रवाई प्रस्तुत की है। एजेंसी ने जनवरी में अपना मूल निर्णय लेने से पहले यह नहीं बताया कि उसने ऐसा पहले क्यों नहीं किया।