देहरादून । दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की देहरादून शाखा के भीतर मासिक भंडारे के कार्यक्रम को रखा गया, जिसका समय प्रातः 10:00 बजे से था। सतगुरु श्री आशुतोष जी महाराज जी के शिष्या व् शिष्याओ के माध्यम से सु मधुर भजनों का गायन हुआ ।
भजनों की श्रंखलाओ में कुछ भजन इस प्रकार हैं… दो सामर्थ्य हमें हे गुरुवर….., अपने ही रंग में रंग ले……, धीरे धीरे रे मना……, तेरी पूजा में मन लीन रहे……।
तत्पश्चात सद्गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की समर्पित शिष्या साध्वी सुश्री विदुषी जहानवी भारती जी के माध्यम से जीवन के वास्तविक उद्देश्य को जाना, साध्वी बहन ने बताया, मानव तन का प्राप्त हो जाना कोई साधारण बात नहीं है, बल्कि ईश्वर की महान कृपा का प्रसाद है, मानव तन की प्राप्ति का एकमात्र उद्देश्य है, ईश्वर को प्राप्त करना अर्थात ईश्वर को अपने भीतर ही देख लेना, मानवता नहीं केवल एकमात्र ऐसा उपकरण है जिसमें ईश्वर को जानकर उसकी वास्तविक भक्ति करके भवसागर से पार उतरा जा सकता है। मानव जीवन यात्रा के अन्य उद्देश्य गौण हैं, यदि मानव तन पाकर भी ईश्वर को नहीं जाना, उसका साक्षात्कार नहीं किया तो वह जीव ईश्वर द्वारा की गई कृपा का अपमान करता है। इसलिए किसी ने बहुत ही सुंदर कहा है
खुश ना हो जाना कि तुमको मिल गई है जिंदगी,
जिंदगी तो शोहरे जिंदगी का नाम है
अतः जब एक पूर्ण ब्रह्म निष्ठ गुरु शिष्य के जीवन में आते हैं, तो वह शिष्य को ब्रह्मज्ञान प्रदान करते हैं, शिष्य उसी समय अपने घट में ही ईश्वर का दीदार करता है।
यहीं से भक्ति की शुरुआत होती है, भक्ति के शाश्वत मार्ग को जानकर मनुष्य अपने वास्तविक कल्याण की तरफ बढ़ता है, यही मानव तन का उद्देश्य है।
इस प्रकार अनेकों भक्तों-श्रद्धालुओं ने इस सत्संग कार्यक्रम के भीतर आकर जीवन के वास्तविक उद्देश्य को जाना है।