माकपा ने कहा, भारत में मंहगी मेडिकल शिक्षा होने के कारण यूक्रेन जाने को मजबूर हुए 20 हजार छात्र

  • सरकार छात्रों को अपने खर्च पर भारत वापस लाए
  • रूस व यूक्रेन समझदारी दिखाते हुए तत्काल युद्ध को रोंके
  • भाजपा सरकार की नीतिया भी कही न कही अमेरिकाप्रस्त

देहरादून। माक्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी ने रूस और यूक्रेन के मध्य छिड़े युद्ध दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि युद्ध से कई देशों की समस्याएं और भी अधिक जटिल होंगी। वहीं कहा कि भारत में लचर और महंगी मेडिकल शिक्षा होने के कारण छात्र यूक्रेन जाने को मजबूर हुए, इसलिए सरकार छात्रों की अपने खर्च पर वापसी सुनिश्चित करे।
माकपा के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि 1990 में सोवियत संघ का पतन हुआ। अमेरिका और उसके सहयोगी राष्ट्रों ने सुनियोजित ढंग से रूस आदि देशों को निरस्तीकरण में शामिल कर मौके का लाभ नाटो के विस्तार के लिए उठाया। अत्याधुनिक मिसाइलों को पूर्वी यूरोप की तरफ तैनात कर रूस की घेराबंदी की गई। इसे रूस अपनी सुरक्षा एवं संप्रभुता के लिए खतरा मानता रहा है। यूक्रेन जो शासकों की अपरिपक्वता के चलते अब युद्धग्रस्त है। वह अमेरिका से सहयोग की उम्मीद कर रहा है, लेकिन अमेरिका ने अपनी चिरपरिचित नीतियों के तहत उसे सहयोग देने से साफ मना कर दिया। इसलिए दोनों देशों को आपसी समझदारी दिखाकर तत्काल युद्ध रोकना चाहिए। शांति एवं सद्भाव के लिए अपने स्तर से प्रयास तेज करने चाहिए। दोनों देशों के हित इसी में सुरक्षित हैं। माकपा महानगर सचिव अनंत आकाश ने कहा कि भारत सरकार यूक्रेन में फंसे लोगों की सरकारी खर्च पर सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करे। यदि हमारे देश में मेडिकल शिक्षा की व्यवस्था लचर और महंगी नहीं होती तो हमारे 20 हजार छात्र यूक्रेन और अन्य देशों का रुख नहीं करते। भाजपा सरकार की नीतियां भी कहीं न कहीं अमेरिकाप्रस्त हैं, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।

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