इस बार भी काम नहीं आया कार्यकर्ताओं के “प्रचार”

देहरादून: चुनावी राजनीति में परिवारवाद हमेशा से ही बड़ा मुद्दा रहा है। लेकिन इस मुद्दे के बावजूद राजनीति में परिवारवाद हावी है। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दल परिवारवाद की छाया से बाहर नहीं निकल पाए हैं। फायदा लेने के लिए सियासी दलों ने भी परिवारवाद को जब चाहा अपनाया और जब चाह इस मुद्दे पर सियासत भी की।  विरासत की इस सियासत के दम पर राजनीति कर रहे उत्तराधिकारियों की टिकट की चाहत को पूरा किया गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही के टिकट परिवारवाद की छाया से अछूते नहीं पाए। दोनों ही दलों ने प्रत्याशियों के चयन में परिवारवाद को प्राथमिकता दी। इसके चलते दोनों पार्टियों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

कांग्रेस पार्टी परिवारवाद को लेकर हमेशा से भाजपा के निशाने पर रही है। विशेषकर जब भी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की बात आती है तो भाजपा गांधी परिवार को केंद्र में रखकर हमेशा कांग्रेस पर वार करती रही है। यह बात अलग है कि भाजपा में भी तमाम ऐसे नेता हुए हैं, जिन्होंने खुद परिवारवाद को बढ़ावा दिया। दूसरी तरफ नेताओं के बच्चों के राजनीति के मैदान में उतरने का पार्टियों को लाभ भी होता है। नई पीढ़ी के यह नेता बचपन से राजनीतिक महौल में पले-बड़े होते हैं। ऐसे में तमाम बातें वह वक्त से पहले ही सीख जाते हैं। दूसरी तरफ उन्हें समर्थकों की एक बड़ी भीड़ विरासत में मिल जाती है।

बीजेपी मे परिवारवाद

परिवारवाद की सख्त विरोधी रही भाजपा ने कैंट विधानसभा सीट पर सविता कपूर को उम्मीदवार बनाया। सविता कपूर कैंट विस सीट पर विधायक रहे स्वर्गीय हरबंस कपूर की पत्नी है। सविता कपूर को प्रत्याशी बनाकर पार्टी ने सहानुभूति का कार्ड तो चला, लेकिन टिकट के दूसरे दावेदार इसे परिवारवाद को प्रश्रय देने की कवायद के तौर पर देख रहे हैं। भाजपा ने खानपुर विधानसभा सीट पर कुंवर प्रणव चैंपियन का टिकट काटकर उनकी पत्नी कुंवरानी देवयानी को प्रत्याशी बना दिया। चैंपियन की सीट पर बेशक परिवारवाद को लेकर कोई विरोध नहीं है, लेकिन उनका मामला परिवारवाद के विरोध का एक बड़ा आधार बन गया है। पार्टी ने काशीपुर में विधायक हरभजन सिंह चीमा के पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी के इस फैसले का भी स्थानीय दावेदार विरोध कर रहे हैं और टिकट बदलने की मांग उठा रहे हैं। वहीं उत्तराखंड के पूर्व सीएम भुवन चंद खंडुरी की बेटी ऋतु खंडुरी को कोटद्वार से टिकट दिया गया है ।

बीजेपी मे इन्हे मिला परिवार के चलते टिकट

स्वर्गीय हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर को कैंट से मिला टिकट

विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की पत्नी कुंवरानी देवयानी को खानपुर से मिला टिकट

विधायक हरभजन सिंह चीमा के पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा को काशीपुर से मिला टिकट

पूर्व सीएम भुवन चंद खंडुरी की बेटी ऋतु खंडुरी को कोटद्वार से मिला टिकट

कांग्रेस में परिवारवाद

कांग्रेस में पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य को बाजपुर और उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल से उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह पार्टी में शामिल हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं रावत को लैंसडौन से टिकट दिया है। काशीपुर से पार्टी ने पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे नरेंद्र चंद सिंह को उम्मीदवार बनाया है। हल्द्वानी से पूर्व कैबिनेट मंत्री  और नेता प्रतिपक्ष स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के सुपुत्र सुमित हृदयेश को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया।  वहीं हरिद्वार ग्रामीण सीट से हरीश रावत की लड़की अनुपमा रावत को टिकट दिया गया है दोनों ही दलों में परिवारवाद के खिलाफ आवाज उठ रही है।

कांग्रेस मे इन्हे मिला परिवार के चलते टिकट

पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य को बाजपुर और बेटे संजीव आर्य को नैनीताल से मिला टिकट

हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं रावत को लैंसडौन से मिला टिकट

स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के सुपुत्र सुमित हृदयेश को हल्द्वानी से मिला टिकट

पूर्व सीएम हरीश रावत की पुत्री अनुपमा रावत को हरिद्वार ग्रामीण सीट से मिला टिकट

पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को टिहरी से भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद अब पार्टी की केवल एक सीट पर पत्ते खुलना बाकी रह गए हैं। वहीं कांग्रेस की भी एक सीट शेष रह गई है। भाजपा ने डोईवाला और कांग्रेस ने टिहरी से अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। शुक्रवार को नामांकन का आखिरी दिन है तो संभावना है कि दोनों पार्टी गुरुवार को इन सीटों पर भी प्रत्याशियों की घोषणा कर देगी। पार्टी ने गुरुवार को किशोर उपाध्याय द्वारा भाजपा ज्वाइन करने के बाद उन्हें टिहरी से अपना प्रत्याशी घोषित किया। इससे पहले भाजपा ने प्रत्याशियों की दूसरी सूची बुधवार को जारी कर दी थी। पार्टी ने नौ विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की थी।

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