कांग्रेस के लिये हरदा बनेंगे मिसाल ?या काम करेगा धामी का कमाल !

देहरादून: उत्तराखंड की सक्रिय राजनीति में हरीश रावत से बड़ा और अनुभवी चेहरा मैदान में नहीं है। हालांकि छह महीने पहले राज्य के मुख्यमंत्री बने 46 वर्षीय पुष्कर सिंह धामी न केवल युवा हैं, बल्कि राजनीति की नब्ज को बखूबी समझते हैं। धामी के पीछे उत्तराखंड भाजपा के प्रभारी दुष्यंत गौतम, विधानसभा चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी और उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष ने पूरी चौसर बिछा रखी है। उत्तराखंड चुनाव की तैयारियों का जायजा अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद ले रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और संगठन मंत्री लगातार केंद्रीय नेताओं के संपर्क में हैं। भाजपा को प्रदेश में ब्राह्मण अध्यक्ष और राजपूत मुख्यमंत्री के सहारे फिर से बहुमत मिलने की उम्मीद है।

रावत बिरादरी का 25-30 सीटों पर दबदबा

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता भान सिंह नेगी कहते हैं कि फिर भाजपा की सरकार बनेगी। पार्टी चुनाव पक्का जीतेगी। भान सिंह नेगी राज्य सरकार में मंत्री धन सिंह रावत के करीबी हैं। हालांकि राज्य में जनता का मन टटोल रहे प्रकाश नेगी के अनुसार रावत बिरादरी का राज्य में 25-30 सीटों पर दबदबा रहता है। प्रकाश का कहना है कि भाजपा ने दो रावत मुख्यमंत्री बदल दिए। पुष्कर सिंह धामी को जुलाई 2021 में छह महीने पहले ही मौका दिया है। नेगी कहते हैं कि ऐसे देखा जाए तो इस समय उत्तराखंड की राजनीति में हरीश रावत से बड़ा अब कोई रावत नेता नहीं है। हरक सिंह रावत का भी भाजपा से छिटकना पार्टी को भारी पड़ेगा।


पौड़ी गढ़वाल और कुमायूं की राजनीतिक स्थिति को समझने वाले महेश पंत का कहना है कि हरीश रावत काफी लोकप्रिय, गैर विवादित नेता हैं। लेकिन भाजपा का ब्राह्मण को अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के करीबी पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाना कई मामलों में अच्छा फैसला है। महेश का कहना है कि भाजपा के पास उत्तराखंड में कई अच्छे नेता हैं। राज्यसभा सदस्य रहते हुए अनिल बलूनी ने राज्य के विकास में बड़ा योगदान दिया है। त्रिवेन्द्र सिंह रावत फिर राजनीतिक रूप से सक्रिय हो रहे हैं। पार्टी 10 सीटें महिलाओं को देने और सात पर दलितों को उम्मीदवार बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। इसलिए भाजपा के सत्ता में लौटने की पूरी संभावना है। वैसे भी चुनाव प्रचार के लिए भाजपा प्रचुर संसाधन का इस्तेमाल करती है। हालांकि महेश के मुताबिक भाजपा के तमाम नेता ही भाजपा की जीत के रास्ते में बड़ी चुनौती हैं। वह कहते हैं उत्तराखंड के कई जनाधार वाले नेता आपस में ही टकरा रहे हैं। इसका पार्टी को नुकसान हो सकता है।

कांग्रेस ने दुरुस्त किए अपने कील कांटे

कांग्रेस पार्टी को उत्तराखंड में इस बार सरकार बना लेने की पूरी उम्मीद है। इसकी दो बड़ी वजह बताई जा रही हैं। पहली तो यह कि मुख्यमंत्री का चेहरा माने जाने वाले हरीश रावत को कांग्रेस संतुष्ट रखने में सफल हो गई है। दूसरी, उत्तराखंड में चुनाव का गणित मोहन प्रकाश जैसे वरिष्ठ नेता के मार्गदर्शन में सजेगा। समाजवादी पृष्ठभूमि के मोहन प्रकाश चुनाव को जमीनी रूप देने में माहिर माने जाते हैं। उनके प्रभारी बनने के बाद पार्टी के भीतर कलह और भीतरघात को संतुलित करने में मदद मिलेगी। मोहन प्रकाश न केवल हरीश रावत को एक फ्रेम में कस सकते हैं, बल्कि प्रीतम सिंह समेत अन्य के बीच संतुलन बना सकते हैं। बताते हैं इसका कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।

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