क्या कम हो गया 2017 की मोदी लहर का असर ?

देहरादून: इस बार 60 पार का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटने जा रही है।  पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के लगातार जारी सर्वे में लगभग डेढ़ दर्जन विधायकों की जीत संदिग्ध बनी हुई है। ऐसी सीटों को खतरे की श्रेणी में रख नये नामों पर मंथन शुरू हो गया है। केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि नाराजगी झेल रहे विधायकों का टिकट कटने से भाजपा फिर से सरकार बना सकती है। संघ की रिपोर्ट भी इन विधायकों के टिकट कटने का भी मुख्य आधार बनेगी। सर्वे में इन विधायकों की जीत के पीछे सिर्फ 2017 की मोदी लहर को अहम कारक माना गया। इसके अलावा बीते 5 साल में विधायकों की नॉन परफार्मेन्स भी उनके टिकट कटने का आधार बन रही है। 2012 में भी खंडूडी सरकार की वापसी के लिए कई विधायकों का टिकट काटा गया था।

इधर, विभिन्न मीडिया संस्थानों के शुरुआती सर्वे में भाजपा को भारी बढ़त के साथ दोबारा सरकार बनाते दिखाया गया था। लेकिन हालिया सर्वे में  भाजपा व कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। इस बीच, भाजपा ने खतरे में पड़ी कई विधानसभा सीट पर नये उम्मीदवार को उतारने का फैसला किया है। पार्टी विधायकों की आकस्मिक मौत पर उनके परिजन व किसी अन्य चेहरे को टिकट दिए जाने की संभावना है। हालांकि, उत्तर प्रदेश भाजपा में मची भगदड़ के बाद उत्त्तराखण्ड भाजपा टिकट कटने वाले विधायकों की सूची सीमित करने पर भी विचार करने पर बाध्य दिख रही है।

बहरहाल, जिन विधायकों को 2022 के चुनाव में जिन विधायकों का टिकट कटने की संभावना जतायी जा रही है। उनमें ये नाम चर्चाओं में हैं। हालांकि, आखिरी समय में मजबूत विकल्प नहीं मिलने पर कुछ सिटिंग विधायकों का टिकट सुरक्षित रह सकता है।

  1. बद्रीनाथ- महेंद्र भट्ट
  2. थराली- मुन्नी देवी
  3. कर्णप्रयाग- सुरेंद्र सिंह नेगी
  4. प्रतापनगर- विजय सिंह पंवार
  5. टिहरी- धनसिंह नेगी
  6. सहसपुर- सहदेव पुंडीर
  7. राजपुर- खजान दास
  8. धर्मपुर – विनोद चमोली
  9. पौड़ी (सु) –  मुकेश कोली
  10. झबरेड़ा (सु)-देशराज कर्णवाल
  11. काशीपुर- हरभजन सिंह चीमा
  12. अल्मोड़ा- रघुनाथ सिंह चौहान
  13. द्वाराहाट- महेश नेगी
  14. कपकोट – बलवंत भौर्याल
  15. लालकुंआ – नवीन दुमका
  16. गंगोलीहाट (सु)- मीना गंगोला

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