देहरादून: कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत का रूठने-मनाने का खेल काफी पुराना है। अब कोटद्वार मेडिकल कालेज के बहाने इस्तीफे की धमकी देकर हरक ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। यदि वह वास्तव में इस्तीफा देते हैं और यह स्वीकृत होता है तो अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में बलिदानी कहलाएंगे। अगर, इस्तीफा स्वीकृत नहीं हुआ तो क्षेत्र में यह संदेश देने का प्रयास करेंगे कि इससे ज्यादा वह क्या कर सकते थे। दूसरी तरफ, बड़ी तेजी से यह भी चर्चा चल रही है कि हरक सिंह जल्द ही कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं। यह पहला अवसर नहीं है, जब हरक सिंह नाराज हुए हैं। ज्यादा वक्त नहीं बीता, जब इसी साल जुलाई में सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के समय वह रुठ गए थे। तब उनकी दबाव की रणनीति काम कर गई और उन्हें ऊर्जा जैसा अतिरिक्त मंत्रालय भी दिया गया। अब जबकि विधानसभा चुनाव सिर पर हैं तो हरक फिर से नाराज हुए हैं और इसकी वजह बताई जा रही है कोटद्वार में मेडिकल कालेज।
असल में, हरक सिंह ने पिछले चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में इसका वायदा किया था। त्रिवेंद्र सरकार से लेकर धामी सरकार तक के कार्यकाल में वह इसे पूरा नहीं करा पाए। हाल के दिनों में उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से भी इस संबंध में अनुरोध किया था। इस पर उन्हें आश्वासन भी मिले, लेकिन एक ही जिले में दो मेडिकल कालेज का मानक भी आड़े आ रहा है। ऐसे में कोटद्वार मेडिकल कालेज के आकार न ले पाने को लेकर क्षेत्रीय जनता के बीच से प्रश्न भी उठ रहे हैं। इस परिदृश्य के बीच अब कैबिनेट की बैठक में इस्तीफे की धमकी देकर बैठक छोड़कर चले जाने का दांव उन्होंने चला है। देखना होगा कि उनका यह दबाव क्या रंग लाता है। वे फिर से मना लिए जाएंगे अथवा वह अन्य कोई कदम उठाएंगे। इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।
उधर, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी तेजी से चल रही है कि अगले कदम के तौर पर हरक सिंह फिर से कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं। कहा तो यह भी गया कि वह पांच साल बाद शनिवार को ही कांग्रेस में लौट सकते हैं। हरक सिंह भी उन विधायकों में शामिल हैं, जो वर्ष 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। पूर्व में उनके द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रति अपनाए गए नरम रुख को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है।