न्यूज़ डेस्क: अक्सर सुनने में आता है कि किराएदार मकानमालिक के व्यवहार से परेशान रहता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कानून में किराएदार के लिए भी कई नियम और अधिकार हैं, जिन वजह से मकानमालिक उनका शोषण नहीं कर सकते हैं. इन नियमों में मकानमालिक और किराएदार दोनों के लिए अधिकार और ड्यूटी तय की गई है, ताकि दोनों एक दूसरे को परेशान ना कर सके. ऐसे में किराएदार भी अपनी प्राइवेसी आदि का आराम से ख्याल रख सकता है. अगर आप भी किराएदार हैं तो आपको इन नियमों को जानकारी आवश्यक है ताकि कुछ दिक्कत होने पर आपको सहारा मिल सकता है. ऐसे में जानते हैं कि किराएदार और मकानमालिक को लेकर क्या नियम है…
प्रॉपर्टी के मेनटेंस को लेकर नियम
जब किराएदार कोई संपत्ति किराए पर लेता है तो उस संपत्ति के लिए किराएदार और मालिक दोनों जिम्मेदार होते हैं. अगर एग्रीमेंट में कोई खास शर्त होती है तो अलग बात है. अगर सामान्य नियमों की बात करें तो जैसे किराएदार किसी दीवार को गिरा नहीं सकता है, लेकिन मकानमालिक भी किराएदार की सहमति के बिना प्रोपर्टी में कोई बदलाव नहीं कर सकता है.
सिक्योरिटी मनी को लेकर है नियम
नियमों के अनुसार सिक्योरिटी मनी 3 महीने के किराए से ज्यादा रकम की नहीं ली जा सकती है, जब तक कि एग्रीमेंट में कोई शर्त नहीं हो. इसके अलावा एडवांस किराया लेने को लेकर भी नियम है, जिसमें एक साथ ज्यादा महीनों का एडवांस किराया नहीं लिया जा सकता. साथ ही अगर किराए बढ़ाने की बात हो तो रिनोवेशन के बाद ऐसा किया जा सकता है.
बिजली-पानी की सुविधा बंद नहीं
अगर किराएदार और मकानमालिक के बीच किसी बात को लेकर विवाद होता है तो मकानमालिक किराएदार को पानी और बिजली से वंचित नहीं कर सकता है.
नोटिस देना होगा जरूरी
कई स्थितियों में मकानमालिक को किराएदार को पहले नोटिस देना होगा. ऐसे अगर कोई घर खाली करवाना चाहता है, उसमें कोई रिनोवेशन करवाना चाहता है तो पहले किराएदार को इसकी जानकारी देनी होगी. ऐसा ही नहीं, अगर मकानमालिक अपनी संपत्ति की विजिट करना चाहता है तो किराएदार को 24 घंटे पहले बताना जरूरी है, इसके बाद ही वो किराएदार के कब्जे वाली जगह में जा सकता है. साथ ही वो दिन के समय ही घर में एंटर हो सकता है.
किराएदार कर सकता है कब्जा?
अगर देखा जाए तो किराएदार किसी भी भी संपत्ति पर हक नहीं जमा सकता है और उसका मालिक की संपत्ति पर कोई हक नहीं होता है. लेकिन, यह अलग अलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है. ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी एक्ट के अनुसार, एडवर्स पजेशन में ऐसा नहीं होता है और इसमें जिस पर संपत्ति का कब्जा होता है, वो उसे बेचने का अधिकारी भी होता है. यानी अगर कोई 12 साल तक किसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन रखता है तो उसे संपत्ति पर अधिकार मिल जाता है.
एग्रीमेंट जरूरी है
किराएदार और मकानमालिक के बीच कोई भी अधिकार और ड्यूटी को लेकर दोनों के बीच एग्रीमेट आवश्यक है. इस एग्रीमेंट में सभी शर्तों का उल्लेख होता है और अगर आप किसी मुद्दे पर अपना पक्ष रखना चाहते हैं तो आप लिखित रूप से पहले ही मकानमालिक से करार कर सकते हैं. ताकि बाद में कोई दिक्कत ना हो. कोई भी कानूनी कार्रवाई की दशा में एग्रीमेंट अहम रोल निभाता है.