नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी का नाम एक बार फिर से विवादों में है। जेएनयू छात्र संघ की ओर से बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि और बाबरी ढांचे के विध्वंस की बरसी के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में विवादित नारेबाजी के वीडियो सामने आए हैं। इन वीडियोज में दोबारा से बाबरी मस्जिद बनाए जाने की मांग की गई है। यही नहीं इसके बाद से विवाद छिड़ गया है और इसके बाद भी जेएनयू छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने इस नारेबाजी को सही करार दिया है। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, उनमें वह भी नारे लगाते दिखे थे। मून ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नारे यह लगे थे और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
सोमवार को जेएनयू में आयोजित कार्यक्रम में साकेत मून ने कहा था कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बाबरी मस्जिद को गिराना गलत था तो फिर पूरी जमीन पर मंदिर बनाने का ही फैसला क्यों दिया गया। यही नहीं मून ने कहा कि यह फैसला गलत था और इंसाफ होना चाहिए। इसका इंसाफ यही होगा कि बाबरी मस्जिद को गिराने वालों को सजा मिले और उसका एक बार फिर से निर्माण कराया जाए।
मून ने कहा कि हमने हाशिमपुरा, दादरी और बाबरी के नारे लगाए थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हाशिमपुरा और दादरी अन्याय के प्रतीक हैं। उसी तरह से बाबरी ढांचे का विध्वंस भी अन्याय है और इसे तभी दूर किया जा सकता है, जब बाबरी मस्जिद का निर्माण किया जाए। हालांकि उनके इस बयान से जेएनयू छात्र संघ ने ही दूरी बना ली है। छात्र संघ के महासचिव सतीश चंद्र यादव ने कहा, ‘जेएनयू छात्र संघ ने ऐसी मांग नहीं उठाई है। मून ने यह कहा है कि कोर्ट ने यह स्वीकार किया था कि बाबरी का विध्वंस गलत है। इसलिए उसे दोबारा बनाया जाना चाहिए।’
यही नहीं 6 दिसंबर को कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आएशी घोष ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि बाबरी मस्जिद के बाद अब काशी को लेकर तैयारी है। इसके लिए उन्होंने काम भी शुरू कर दिया है। इस बीच जेएनयू में नारेबाजी एक बार फिर से मुद्दा बनने लगी है। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि जेएनयू में हमेशा ऐसी ही चीजें सिखाई जाती रही हैं। इसके अलावा दिल्ली के भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि आज यह सोचने की कोई हिम्मत भी कैसे कर सकता है कि बाबरी मस्जिद को दोबारा बनाया जाएगा।