पुतिन का भारत दौरा:रूस से सुपर एडवांस्ड S-500 मिसाइल डिफेंस डील कर सकता है भारत

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन 6 दिसंबर को एक दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इसी दौरान दोनों देशों के बीच पहली 2+2 बातचीत होगी। इसमें दोनों देशों के डिफेंस और फॉरेन मिनिस्टर बातचीत करेंगे। पुतिन के भारत दौरे से चीन और पाकिस्तान बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। इसकी वजह भी जायज है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भारत रूस से सुपर एडवांस्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-500 या S-500 SAM खरीद सकता है। यह S-400 मिसाइल डिफेंस से भी बहुत ज्यादा खतरनाक है, जिसकी डिलीवरी भारत को शुरू हो चुकी है। चलिए, इस मामले को समझते हैं।

हमारे पास जल्द होगा S-400 डिफेंस सिस्टम
भारत ने 2018 में रुस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की डील की थी। इसे दुनिया का सबसे एडवांस्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम कहा जाता है। रूस के अलावा यह सिस्टम सिर्फ चीन और तुर्की के पास है। खास बात यह है कि भारत और रूस की S-400 डील पर अमेरिका आगबबूला है। उसने तुर्की पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत के खिलाफ वो किसी तरह का दबाव नहीं डाल पाया। इसकी वजह यह है कि चीन को काबू में रखने के लिए उसे भारत की जरूरत है और वो भारत का नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकता। चीन ने भी भारत को S-400 मिलने का विरोध किया था। लेकिन, रूस ने साफ कर दिया था कि भारत और रूस के 70 साल पुराने सैन्य रिश्ते हैं, लिहाजा वो S-400 भारत को जरूर देगा।

S-500 पर डील हुई तो क्या होगा
अगर पुतिन और मोदी S-500 सुपर एडवांस्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर डील करते हैं तो तय मानिए कि चीन और पाकिस्तान पर भारत लंबी बढ़त हासिल कर लेगा। यही वजह है कि भारत के ये दोनों पड़ोसी दुश्मन परेशान हैं। भारत और रूस फिलहाल, इस मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। दोनों देशों के विदेश या रक्षा मंत्रालय ने इसका जिक्र करना भी मुनासिब नहीं समझा। तीन साल पहले S-400 डील के वक्त भी दोनों देशों का बिल्कुल यही रवैया था।
एक बात और अगर S-500 पर डील हुई तो भारत इस डिफेंस सिस्टम को हासिल करने वाला अकेला विदेशी मुल्क होगा। ये भी तय है कि भारत हर हाल में रूस के सामने यह शर्त रखेगा कि वो ये S-500 डिफेंस सिस्टम चीन को न दे। पाकिस्तान की हैसियत तो इसे खरीदने की है ही नहीं।

डील का रास्ता आसान नहीं
भारत और रूस सुपर एडवांस्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-500 या S-500 SAM पर क्यों कुछ नहीं बोल रहे हैं? यह सवाल पाकिस्तान की मीडिया में कई दिनों से उछाला जा रहा है, टीवी चैनलों पर डिबेट्स हो रही हैं। चीन में मीडिया सेंसरशिप के चलते वैसे ही कुछ भी बाहर आना मुमकिन नहीं है। अमेरिका ने S-400 पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। अब तक इस पर फैसला नहीं हो सका है। सवाल ये है कि क्या S-500 पर भी वो चुप बैठेगा? क्या उसे भारत और रूस के बीच पक रही खिचड़ी की जानकारी नहीं है? क्या वो यह डील होने देगा? क्या इस डील से चीन और रूस के रिश्तों में दरार नहीं आएगी? क्या इस डील से एशिया में हथियारों की दौड़ का एक नया रास्ता और नहीं खुल जाएगा? इन सवालों के जवाब वक्त की गर्त में हैं। देखते हैं क्या होता है।

भारत को रूस के मिलिट्री इक्युपमेंट्स की जरूरत

भारत की आजादी के बाद से ही रूस से उसके मजबूत सैन्य संबंध हैं। मिलिट्री हार्डवेयर्स के अलावा भारत इस भरोसेमंद दोस्त से टैंक्स, छोटे हथियार, एयरक्राफ्ट्स, शिप्स, कैरियर एयरक्राफ्ट (INS विक्रमादित्य)और सबमरीन्स भी खरीदता है।

दोनों देश मिलकर ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल्स बना रहे हैं।

Ka-226T हेलिकॉप्टर्स की मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट भारत में लगाने पर बातचीत जारी।

एक आंकड़े को मुताबिक, 1991 से अब तक भारत ने रूस से 70 बिलियन डॉलर के मिलिट्री इक्युपमेंट्स खरीदे हैं।

रूस दूसरे देशों की तुलना में भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में भी सहूलियत देता है।

रूस के मिलिट्री इक्युपमेंट्स भारत की जरूरत के हिसाब से और अमेरिका से काफी सस्ते हैं।DRDO में भी मदद
एक रिपोर्ट के मुताबिक, टेक्नोलॉजी सेक्टर में मदद के लिए रूस के कई साइंटिस्ट्स हमेशा डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी (DRDO) में मौजूद रहते हैं। दोनों देश खास तौर पर रिएक्टर टेक्नोलॉजी और सबमरीन डेवलपमेंट पर फोकस कर रहे हैं। स्पेस इंटेलिजेंस के मामले में रूस और भारत काफी वक्त से काम कर रहे हैं। रूस ने हाल ही में अपना एक सैटेलाइट अंतरिक्ष में मार गिराया था। भारत पहले ही यह कामयाबी हासिल कर चुका है।

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