जानिए देवभूमि की शान में मोदी की वह कविता, शब्दश शब्द….जिसने उत्तराखंडवासियों का हृदय जीत लिया

है भाग्य मेरा सौभाग्य मेरा, में देवभूमि आता हूँ, मैं तुमको शीश नवाता हूं….और धन्य धन्य हो जाता हूँ …….नरेंद्र मोदी

यूं तो पीएम मोदी की भाषण शैली का हर कोई कायल है, लेकिन देहरादून की रैली में मोदी ने देवभूमि की शान में कविता सुनकर उत्तराखंडवासियों का दिल जीत लिया | बेशक जनसभा में आए लोगों के लिए उन्होने यह कविता पढ़ी लेकिन उनके शब्दों, भावों और काव्य पाठ की शैली ने सभी को गौरवान्वित कर दिया | निसंदेह चुनावी भाषण से अलग, उनकी उत्तराखंड के सम्मान में कही गयी यह पंक्तियाँ कई पीढ़ियों तक साहस भरने का कार्य करने वाली है | आइए शब्द्श शब्द हम आपके लिए प्रस्तुत करते हैं मोदी की इस ऐतिहासिक कविता को………

जहां पवन बहे संकल्प लिए, जहां पर्वत गर्व सिखाते हैं|

जहां ऊंचे नीचे सब रास्ते , बस भक्ति के सुर में गाते हैं||

उस देवभूमि के ध्यान से ही, मैं सदा धन्य हो जाता हूं

है भाग्य मेरा सौभाग्य मेरामैं तुमको शीश नवाता हूं……और धन्य धन्य हो जाता हूँ

तुम आँचल हो भारत माँ का, जीवन की धूप में छाँव हो तुम |

बस छूने से ही तर जाएँ, सबसे पवित्र वो धारा हो तुम ||

बस लिए समर्पण तन मन से में देवभूमि में आता हूँ

है भाग्य मेरा सौभाग्य मेरा में तुमको शीश नवता हूँ ……और धन्य धन्य हो जाता हूँ

जहां अंजुली में गंगा जल हो, जहां हर एक मन बस निश्चल हो,

जहां गाँव-गाँव में देशभक्त, जहां नारी में सच्चा बल हो||

उस देवभूमि का आशीर्वाद लिए में चलता जाता हूँ

है भाग्य मेरा सौभाग्य मेरा में तुमको शीश नवाता हूँ…..और धन्य धन्य हो जाता हूँ

मंडवे की रोटी, हुड़के की थाप, हर एक मन करता शिवजी का जाप|

ऋषि मुनियों की है ये तपोभूमि, कितने वीरों की ये जन्मभूमि||

में देवभूमि आता हूँ मैं तुमको शीश नवाता हूं….और धन्य धन्य हो जाता हूँ

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