नई दिल्ली/सोनीपत/गाजियाबाद। राकेश टिकैत समेत कई अन्य किसान नेताओं के आंदोलन को लेकर अलग अलग बयानों के बीच संयुक्त किसान मोर्चा की बुधवार (1 दिसंबर) को दोपहर में आयोजित बैठक टल गई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसका जानकारी देते हुए कहा है कि पूर्व घोषणा अनुसार हालात के मद्देनजर किसान आंदोलन के आगे के कदमों के बारे में निर्णय लेने के लिए आगामी बैठक 4 दिसंबर को होगी। बता दें कि यह बैठक पूर्व में भी 4 दिसंबर को होनी थी, लेकिन बीच में 1 दिसंबर की तारीख का एलान हो गया। इसको लेकर लगातार गफलत बनी हुई थी, क्योंकि 1 दिसंबर की तारीख का ऐलान किसी किसान नेता ने नहीं किया, बल्कि यह मीडिया में कई दिनों से थी। हैरत की बात यह है कि कई दिनों तक संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने इसका खंडन तक नहीं किया। वहीं, बैठक को लेकर गलतफहमी के संबंध में किसान नेता दर्शन पाल मीडिया के सामने आए और उन्होंने बताया कि बुधवार को 32 किसान संगठन और वे लोग जो सरकार के साथ बातचीत के लिए जाते थे, उनकी बैठक बुलाई गई है। ग़लती से घोषणा हो गई कि संयुक्त किसान मोर्चे की बैठक है। हमारे लोगों के खिलाफ दर्ज़ मामलों, MSP की कमेटी के मुद्दे पर चर्चा होगी।
बताया जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं में आपसी मतभेद कई बार मुखर हुए हैं, ऐसे में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बैठक का टलना भी असमंजस की वजह है।
4 दिसंबर की बैठक में शामिल होंगे 30 से अधिक संगठन
बताया जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 4 दिसंबर को होने वाली यह अहम बैठक दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर होगी। इस बैठक में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उठाए गए विभिन्न बिन्दुओं और भविष्य में लिए जाने वाले फैसलों पर चर्चा होगी। इस बीच नई उभर रही स्थिति का जायज़ा लेने के लिए आज हरियाणा के संगठन बैठक कर रहे हैं।
किसानों का कहना है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री पहले ही संकेत दे चुके हैं कि जब हरियाणा राज्य में लगभग 48000 किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने की बात आती है, तो वह केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करेंगे और मोदी सरकार किसानों के शेष मांगों को पूरा करने की अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है
ये हैं संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े नेता
बलबीर सिंह राजेवाल
डा. दर्शन पाल
गुरनाम सिंह चढूनी
हन्नान मोल्ला
जगजीत सिंह डल्लेवाल
जोगिंदर सिंह उगराहां
शिवकुमार शर्मा (कक्का जी)
युद्धवीर सिंह
योगेंद्र यादव
राकेश टिकैत
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को संसद के शीत कालीन सत्र के पहले ही दिन तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त हो गए हैं। वहीं, तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद अब न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत 6 मांगों को लेकर दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (टीकरी, शाहजहांपुर, सिंघु और गाजीपुर) पर धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है।