नई दिल्ली। अनधिकृत कालोनियों में विकास और लैंड पुलिंग पालिसी का विस्तार जल्द ही रफ्तार पकड़ेगा। दरअसल, दिल्ली में सभी को आवास उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने दिल्ली डेवलपमेंट एक्ट 1957 में बदलाव करने का निर्णय लिया है। इस निमित्त बदलाव का खाका तैयार कर स्वीकृति के लिए केंद्रीय शहरी विकास विकास मंत्रालय को भी भेज दिया गया है। संभावना है कि केंद्र सरकार इसे संसद के इसी मानसून सत्र में पास कर सकती है।
रतलब है कि दिल्ली की 1731 अनधिकृत कालोनियों में मालिकाना हक देने की शुरुआत तो डीडीए करीब डेढ़ साल पहले ही कर चुका है, लेकिन इन कालोनियों में विकास कार्याें की शुरुआत अभी भी अटकी हुई हैं। वजह, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 लागू होने के बाद सरकारी एजेंसियों के लिए भूमि अधिग्रहण तो मुश्किल हो ही गया है, डीडीए के समक्ष विकास कार्याे को अमली जामा पहनाने के लिए कई कानूनी अड़चनें भी पेश आ रही हैं। कमोबेश ऐसी ही समस्या लैंड पुलिंग पॉलिसी को लेकर है। 64 साल बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण ने एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर केंद्र सरकार की मुहर लगना बाकी है। अब 2018 में अधिसूचित इस पालिसी में 95 गांवों को शामिल किया गया है, जहां 17 लाख आवास बनाए जाने हैं। लेकिन यहां भी डीडीए अधिकारी पालिसी को क्रियान्वित करने के लिए न्यूनतम लैंड फीसद तक नहीं पहुंच पा रहे। कारण, एक तो लैंड पार्सल पूल नहीं नहीं किए जा सकते। दूसरे, स्टांप डयूटी को लेकर भी दिक्कतें आ रही हैं। पॉलिसी के तहत जमीन का ट्रांसफर जमीन के मालिक और उसे विकसित करने वाले के बीच दो- दो बार हो रहा है। ऐसे में स्टांप डयूटी भी दो दो बार ही देनी पड़ रही है जिससे जमीन की कीमत बेवजह 15 से 16 फीसद तक बढ़ रही हैं। अधिकारियों के मुताबिक इस पालिसी पर आगे बढ़ने के लिए पहले किसानों को अपनी जमीन का कंर्साेटियम बनाना होगा और फिर अपने लैंड पार्सल को पूल करना होगा।इसके बाद ही उस जमीन पर आवासीय इकाइयां बनाने की योजना तैयार होगी और 60 फीसद जमीन उसके मालिकों को वापस की जाएगी। लेकिन इस सबके लिए छह दशक पुराने एक्ट में बदलाव करना अब जरूरी हो गया है। इस बदलाव के बाद डीडीए की भूमिका भी बदलेगी। वह दिल्ली के विकास की सिर्फ प्लानिंग करेगा और विकास कार्याें में निजी एजेंसियों को सहायता करेगा।
लैंड पुलिंग पालिसी के तहत अभी तक करीब 6900 हेक्टेयर जमीन पंजीकृत हो चुकी है। लेकिन पांच जोनों में क्रियान्वित होने वाली इस पानिसी के लिए कम से कम 70 फीसद जमीन पूल होनी चाहिए जबकि एक भी जोन में अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है।
मनीष गुप्ता, सदस्य (प्रशासन एवं भूमि प्रबंधन), डीडीए का कहना है कि दिल्ली की पुनर्संरचना और पुनर्विकास को गति देने के लिए दिल्ली डेवलपमेंट एक्ट में बदलाव जरूरी हो गया है। कुछ कानूनी अड़चनों का निदान एक्ट में बदलाव से ही संभव है। इन बदलावों के बाद दिल्ली में तेजी से विकास कार्य हो सकेंगे।