देहरादून: सवा पांच सौ करोड़ के घाटे में चल रहे रोडवेज प्रबंधन ने खर्चों में कटौती को लेकर अपनी 600 डीजल बसों में सीएनजी किट लगवाने का फैसला किया है। बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव लाया जा रहा। प्रबंधन के मुताबिक इससे सालाना लगभग 50 करोड़ रुपये की बचत होगी। आज यानी शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने जा रही बोर्ड बैठक में करीब 30 अक्षम कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के प्रस्ताव पर भी फैसला हो सकता है। इससे पूर्व प्रबंधन ने 800 कार्मिकों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने का प्रस्ताव बनाया था, जो सफल नहीं हुआ। वर्तमान में रोडवेज की अपनी 1050 जबकि 200 अनुबंधित बस हैं। यह सभी डीजल पर संचालित होती हैं। केंद्र सरकार की योजना के तहत पांच सीएनजी बसों को देहरादून-दिल्ली मार्ग पर चलाया जा रहा है और इन पर कम खर्च आ रहा। रोडवेज की करीब 60 फीसद बसें नियमित दिल्ली मार्ग पर दौड़ती हैं। दून से दिल्ली के एक फेरे में एक बस 525 किमी चलती है। रोडवेज की मानें तो सीएनजी पर डीजल की अपेक्षा प्रति फेरे पर लगभग साढ़े तीन हजार रुपये बचत होगी। सीएनजी बस पर ईंधन में प्रति किमी सात रुपये तक की बचत आ रही। डीजल बस एक लीटर में लगभग पांच किमी चल रही हैं, जबकि सीएनजी बस पौने छह किमी प्रति लीटर का एवरेज देती हैं। वहीं, दून में डीजल की मौजूदा कीमत लगभग 94 रुपये प्रतिलीटर है जबकि दिल्ली में सीएनजी 45 रुपये प्रति लीटर है। यदि रोडवेज 600 बस सीएनजी में बदल देता है तो उसे हर साल 50 करोड़ की बचत होगी। रोडवेज डीजल पर सालाना 235 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। रोडवेज की ट्रांसपोर्टनगर कार्यशाला में सीएनजी पंप भी लगाया जा चुका है।
बेटिकट में परिचालक बर्खास्त
ऊखीमठ से देहरादून आ रही पर्वतीय डिपो की बस में तीन यात्री बेटिकट पकड़े जाने के प्रकरण में मंडल प्रबंधक संजय गुप्ता ने परिचालक मदन सिंह को बर्खास्त कर दिया है। मंगलवार को मंडल प्रबंधक की ओर से भेजी गई विशेष प्रवर्तन टीम ने बस को पकड़ा था। परिचालक विशेष श्रेणी का था।