नई दिल्ली। सदियों पुरानी धारणा को चुनौती देते हुए कि खून पानी से अधिक गाढ़ा होता है, कलर्स अपने प्रिय शो ‘डोरी’ को वापस लेकर आया है। शो का दूसरा अध्याय बुना जा रहा है जहां दिल के रिश्ते किसी भी पारिवारिक बंधन से अधिक मजबूत हैं। इसके पहले सीज़न में, एक अनाथ लड़की डोरी को एक साधारण बुनकर बचा लेते हैं और उसकी परवरिश करते हैं, और इस कहानी ने लाखों लोगों के दिलों में घर कर लिया। अब इस कहानी ने 14 साल की लीप है, जिसके साथ ही भाग्य फिर से इस बात पर ज़ोर दे रहा है कि खून से बढ़कर दिल का रिश्ता होता है और परवरिश पैदाइश से बड़ी होती है। इस भावना के साथ, डोरी, जो कभी खुद अनाथ थी, एक क्षमतावान और करुणामय महिला बन गई है। अब वह अपने जीवन के हर पहलू में अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। एक नवजात बच्ची को बचाने के बाद, डोरी बच्ची का नाम शुभी रखती है और उसकी संरक्षक बनने का वादा करती है, भले ही इसके लिए उसे सिंगल मां के रूप में सामाजिक आलोचना का सामना करना पड़े। वह नहीं जानती कि बुनकर समुदाय से नफरत करने वाली क्रूर ठकुराइन राजनंदिनी के रूप में मुश्किलें उसका इंतज़ार कर रही हैं। गंगा प्रसाद की भूमिका में अमर उपाध्याय, डोरी के रूप में प्रियांशी यादव, और राजनंदिनी के किरदार में श्रीजिता डे अभिनीत, और किन्नरी व जय मेहता द्वारा निर्मित, ‘डोरी’ का प्रीमियर 21 जनवरी को होगा और हर सोमवार से शुक्रवार रात 10:30 बजे केवल कलर्स पर प्रसारित होगा।
वाराणसी के घाटों पर सेट किए गए, इस शो का दूसरा सीज़न 22 वर्षीय डोरी के इर्द-गिर्द घूमता है, जो अपने बाबा के सपनों को हकीकत में बदलने और बुनकरों की स्थिति को महज कारीगरों से उबारकर प्रतिष्ठित कलाकारों की स्थिति तक पहुंचाने के मिशन पर है। एक साड़ी एम्बेसडर, डोरी बुनकर का पहला ब्रांड ‘काशी-कला’ स्थापित करना चाहती है। वह अपनी साड़ी के डिज़ाइनों में परंपरा और आधुनिकता के बेहतरीन मिश्रण के साथ एक उल्लेखनीय उद्यमशीलता की भावना को प्रदर्शित करते हुए, इस धारणा को तोड़ती है कि बेटियां बोझ होती हैं, जो उसके पिता के लिए गर्व की बात है। जैसे-जैसे डोरी का साड़ी का बिज़नेस बढ़ता है, वह एक वेबसाइट बनाकर डिजिटल व्यवसाय करने की कल्पना करती है ताकि शुभी की शिक्षा और भविष्य के लिए मुनाफे को बढ़ाया जा सके। लेकिन क्रोध और जलन की आग में जल रही, राजनंदिनी बुनकरों का समर्थन करने या उनके लिए नाम कमाने को लेकर डोरी की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं कर सकती है। यह अपने आधिपत्य को बनाए रखने के लिए व्याकुल ताकत की भूखी तानाशाह राजनंदिनी और निडर महिला डोरी के बीच का टकराव है, जहां डोरी बुनकर के नाम, प्रसिद्धि और अपनी बेटी की उचित विरासत के अधिकार के लिए लड़ रही है।
मुख्य भूमिका को निभाने के बारे में अपने विचार साझा करते हुए, प्रियांशी यादव कहती हैं, “मुझे डोरी के दूसरे अध्याय में प्यारी डोरी की भूमिका निभाने का अवसर मिलने पर सम्मानित महसूस हो रहा है। इस शो को कई लोगों ने पसंद किया है। एक अनाथ बच्ची को गोद लेने का डोरी का सफर भाग्य के खुद को दोहराने का उत्कृष्ट उदाहरण है, और इस भूमिका में कदम रखना एक बड़ी ज़िम्मेदारी जैसा लगता है। जो बात इस भूमिका को अनूठी बनाती है वह यह है कि डोरी एक पालित बेटी से पालक मां बन जाती है, एक सुंदर कहानी जो उसके व्यापक विकास को उजागर करता है। वह बेहद साहसी है जो एक सिंगल कामकाजी मां के रूप में दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है, वह भी ऐसे समाज में जो तुरंत धारणा बना लेती है। मैं डोरी की सभी बाधाओं से लड़ने की हिम्मत की तारीफ करती हूं – बुनकरों को कलाकार के रूप में उबारना, व्यवसाय में अपनी सही जगह को हासिल करना, और अपनी बेटी के अधिकार को सुरक्षित करना। उम्मीद है कि इस प्रिय शो के दूसरे संस्करण को इसके पहले सीज़न जितना ही प्यार मिलेगा, भले ही ज़्यादा न सही।”
गंगा प्रसाद की भूमिका को फिर से निभाने को लेकर, अमर उपाध्याय कहते हैं, “गंगा प्रसाद की भूमिका फिर से निभाकर किसी पुराने दोस्त से मिलने जैसा लग रहा है, जो एक लंबा सफर तय कर चुका है, और इस बार, वह सिर्फ एक पिता नहीं है बल्कि डोरी का गौरवान्वित पिता है, जो अब खुद एक मजबूत, सिंगल कामकाजी मां बन चुकी है। शो को दर्शकों से जो प्यार और उत्साह मिला है उससे मैं वाकई प्रभावित हुआ हूं, और यह देखकर दिल से खुशी होती है कि डोरी के सफर ने कितने लोगों की ज़िंदगियों को प्रभावित किया है। इस दूसरे अध्याय में, जो प्यार से बने बंधनों पर प्रकाश डालता है, गंगा प्रसाद और डोरी दोनों विकसित हुए हैं, और मैं यह देखने के लिए उत्साहित हूं कि उनकी कहानी दुनिया भर के दर्शकों को कैसे प्रेरित करती है और उनसे कनेक्ट होती है। मैं इस खूबसूरत कहानी के लिए कलर्स को धन्यवाद और बधाई देता हूं, और मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि डोरी का सफर इसके सभी दर्शकों के दिलों को लुभाता रहेगा।”