-स्वार्थों का विषपान करना सिखाता है महादेव का नीलकंठ स्वरुप – डॉ. सर्वेश्वर
देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से निरंजन फार्म, दून यूनिवर्सिटी रोड मोथरोवाला, देहरादून में 22-28 दिसम्बर 2024 तक सात-दिवसीय श्री शिव कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है, जिसका समय दोपहर 3.00 से शाम 7.00 बजे तक है। कथा के दूसरे दिवस दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य डॉ. सर्वेश्वर जी ने समुद्र मंथन प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि जब समुद्र मंथन से हलाहल कालकूट विष निकला तो जगत के कल्याण के लिए भगवान शिव ने उस विष का पान कर उसे अपने कण्ठ में धारण कर लिया। जिसके कारण उनका एक नाम नीलकण्ठ भी पड़ गया। उन्होंने कथा का मर्म समझाते हुए बताया कि भगवान शिव का नीलकण्ठ स्वरूप हमें त्याग व सहनशीलता का गुण अपने जीवन में धारण करने की प्रेरणा देता है। भगवान नीलकण्ठ के भक्त होने के नाते हमारा भी ये कर्त्तव्य है कि हम भी विषपान करना सीखें। अर्थात् निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर जगत के कल्याण में अपना योगदान दें। ‘मैं’ से ‘हम’ तक का सफर तय करें। आज मानव अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की पीठ में छुरा घोंपते हुए भी संकोच नहीं करता। इन्सान तो क्या, हमने तो बेज़ुबान पशु-पक्षियों को भी नहीं छोड़ा। जीभ के क्षणिक स्वाद के लिए आज रोज़ाना हज़ारों जीव काट दिए जाते हैं। यूँ तो हम महादेव के भक्त हैं परंतु शायद हम ये भूल जाते हैं कि महादेव का एक नाम पशुपतिनाथ भी है। अर्थात् जो मूक पशुओं के स्वामी हैं। स्वयं ही सोचिये पशुओं की हत्या कर क्या हम अपने पशुपतिनाथ को प्रसन्न कर पाएंगे? इसलिए आवश्यकता है प्रभु के सच्चे भक्त का कर्त्तव्य निभाने की। परपीड़ा को समझ अपने क्षुद्र स्वार्थों का परित्याग करने की। ये तब ही सम्भव है जब ब्रह्मज्ञान के माध्यम से हम नीलकण्ठ का दर्शन अपने घट में प्राप्त करेंगे।
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य लोगों द्वारा शिरकत कर अपने जीवन का कल्याण किया गया। विशिष्ट अतिथियों के रूप में राजसिंह पुण्डीर एक्स. सेक्रेटरी यू.पी. मिलिट्री इंजीनियर सर्विस रायपुर, देहरादून, श्रीमती विनोद उनियाल अध्यक्ष लघु एवं कुटीर उद्योग उत्तराखंड सरकार, श्रीमती कमली भट्ट मंत्री भाजपा महिला मोर्चा, श्री अजय भरद्वाज निरंजन फार्म प्रबंध निदेशक, संजय अग्रवाल प्रबंध निदेशक निरंजन फार्म इत्यादि लोगों ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर कथा पंडाल में महाशिवरात्रि महोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया, जिसमें भक्तों ने नृत्य कर खूब आनंद प्राप्त किया।
प्रसाद का वितरण करते हुए द्वितीय दिवस की भगवान शिव कथा को विराम दिया गया।