लखनऊ। अलग-अलग जाति-वर्गों को साधती चल रही भारतीय जनता पार्टी की नजर अब वैश्य समाज पर गई है। केंद्रीय और उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल विस्तार में किनारे रहे इस समाज को सम्मान का संदेश देने के साथ-साथ विधायक नितिन अग्रवाल को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने का फैसला भी डैमेज कंट्रोल का एक दांव माना जा रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से विधायक चुनकर भारतीय जनता पार्टी के पाले में आए नितिन अग्रवाल को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने की तैयारी है। भाजपा द्वारा अचानक लिया गया यह फैसला चर्चा में है। पार्टी का तर्क है कि नितिनअग्रवाल के पिता पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल से तब किए गए वादे को पूरा किया जा रहा है, जबकि माना यह भी जा रहा है कि मनीष हत्याकांड से वैश्य समाज की नाराजगी को देखते हुए यह कुर्सी नितिन को सौंपी जा रही है। हरदोई और आसपास की कुछ सीटों पर अगले चुनाव में लाभ पर भी नजर है।
60 सदस्यीय योगी मंत्रिमंडल में वैश्य समाज से पांच मंत्री हैं। इनमें एक कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी, दो राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिलदेव अग्रवाल और रवींद्र जायसवाल, जबकि दो राज्यमंत्री अतुल गर्ग और महेश चंद्र गुप्ता हैं।
इसी बीच मनीष हत्याकांड सामने आ गया। कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता को गोरखपुर के होटल में पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला। सूत्रों के अनुसार, इस घटना से वैश्य समाज में नाराजगी बढ़ने की आंच भाजपा ने महसूस की, लिहाजा युवा नितिन को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने का फैसला किया गया। चर्चा यह भी है कि सत्ताधारी दल वैश्य समाज के कुछ बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल करा सकता है। साथ ही विधानसभा चुनाव में इस वर्ग को टिकट भी पहले की तुलना में कुछ अधिक दिए जा सकते हैं। 14 नवंबर को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में वैश्य एवं व्यापारी सम्मेलन प्रस्तावित है। इसके आयोजक खुद नितिन अग्रवाल होंगे, जो कि व्यापार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, जबकि मुख्य वक्ता व्यापार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल और भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल होंगे।