लोक सांस्कृतिक के पुरोधा गोपाल दीनदयाल

देहरादून। गोपाल दीनदयाल जी का जन्म दिनांक 11 जनवरी 1980 को जिला देहरादून के तहसील चकराता के अंतर्गत ग्राम मटियावा में एक गरिब अनुसूचित जाति परिवार में हुआ, श्री दीनदयाल जी एक बहुत ही उच्च कोटी के लेखक / गीतकार है। उनका कहना है कि व श्रीमान चतर सिह चौहान गुरूदेव एवं डा० नन्दलाल भारती जैसे महान संस्कृतिक पुरोधाओं से प्रेरित हुए और श्री चतर सिंह चौहान गुरूदेव के मार्ग दर्शन में जौनसार बावर के लोक संस्कृति के लिए सेवार्थ है। परिवार में आर्थिक तंगी होने के बावजूद भी गोपाल दीनदयाल जी, अपने लोक संस्कृति के सेवा को बखूबी निभा रहें है। लोक संस्कृति के सेवा भाव को निरन्तर जारी रखते हुए इनके द्वारा श्री चतर सिहं चौहान गुरूदेव के मार्ग दर्शन में 14 जुलाई 1999 को प्रथम आडिओ कैसेट “तेरी शौं तेरी कसीमों” रिलिज किया गया जिसको बहुत ही मधुर आवाज दी श्री शिवा सरगम जी ने जिसमें “तेरे प्यारोंन्दा हो मेरी बांटेणी” जैसे तमाम गीतों को लोगो द्वारा बहुत ही सरहाया गया और यंही से श्री गोपाल दीनदयाल गीतकार, शिवा सरगम गायक इस जोडे को क्षेत्र में अनुठी पहचान प्राप्त हुई। इसी क्रम में श्री दीनदयाल जी द्वारा काण्डूडी, टीकराण, बिजूमा, किरकिटी, तैरे झूराकी जैसी कई सुपर हीट एलबमों के सेकडों गीतों को लिखा जिसमें अधिक से अधिक गीत सूर सम्राट श्री शिवा सरगम जी ने ही गाये इसके अलावा बिजूमा में इनका लिखा एक गीत “काण्डा पड़नावणा पडीना” श्रीमान कलम सिह चौहान जी द्वारा भी गाया गया। इनके द्वारा उपरोक्त आडिओ के लिखे गये गीत आज भी लोक प्रिय है जो हर वक्त लोगों के जुबान पर रहते है बता दें की गोपाल दीनदयाल जी वह गीतकार है जिन्होने श्री चतर सिंह चौहान गुरूदेव के दिशानिर्देश में पहला जौनसारी नॉनस्टाप ऑडिओ रिलिज किया गया जिसका नाम “जीव जान चार पराण” रखा गया जिसमें श्री फकीरा सिह चौहान, शिव सरगम, कलम सिह चौहान, भोपाल सिहं चौहान, मंगल जौनसारी, खुशीराम जोशी, गुमानदास, व मीना राणा जैसी प्रसिद्ध गायकों ने अपनी आवज दी। गोपाल दीनदयाल जी वर्ष 2011 से आकाशवाणी नजीवाबाद, देहरादून से भी वर्तमान तक लोक सस्कृति को सेवा दे रहे है। वर्ष 2011 से जाण पछ्याण मंच व 2017 से पहल सामाजिक सस्था एव जौनसार बावर लोक सास्कृति दल के माध्यम से सूचना एवं लोक संपर्क विभाग उत्तराखण्ड के सयोग से वर्तमान तक अपने लोक संस्कृति को सेवा दे रहें है। यही नहीं वर्ष 2017 में संरकृतिक विभाग के सहयोग से अनु० जाति उपयोजना के (एस०सी०एस०पी०) तहत गुरू शिष्य परम्मपरा के अंतर्गत पारम्पारिक जौनसारी लोक गीत लोक नृत्य के प्रशिक्षण हेतु ग्राम मटियावा में 6 माही कार्यशाला चलाई गयी जिसमे की नव युवाओं को इनके द्वारा लोक सस्कृति के लिए प्रशिक्षित किया गया। यही नही आज के यूट्यूब के समय में भी श्री गोपाल दीनदयाल जी की कलम की नोक धीमी नहीं है वर्ष 2022 में इनके द्वारा महामानव भारतरत्न डा० बी०आर० अम्बेडकर जी पर एक जौनसारी हारूल लिखि गयी जिसको शिवा सरगम जी ने गाया डा० अम्बेडकर जी पर उत्तराखण्डी लोक भाषा में यह पहली हारूल और पहली रचना है इसी के साथ वर्ष 2023 में उत्तराखण्ड दर्शन के नाम से इनके द्वारा गीत लिखा गया जिसमे करीब उत्तराखण्ड का सामान्य ज्ञान दर्शाया गया जिसको सुप्रसीद्ध गायक नरेश बादशाह व शिवा सरगम द्वारा गाया इसके अलावा जौनसार के सुरसम्राट श्री अतर शाह जी द्वारा भी श्री दीनदयाल जी द्वारा लिखा गीत “नागादेई” गाया गया है। इसी के साथ तमाम बड़े-बड़े मंचों पर भी इनके द्वारा अपने लोक संस्कृति का प्रचार प्रसार किया गया। यहां तक कि कुछ ऑडिओ में संगीत भी श्री दीनदयाल जी द्वारा दिया गया है। श्री गोपाल दीनदयाल जी उत्तम गीतकार के साथ-साथ लोक कवि, गायन, ढोल बादन, दमाऊ वादक और संगीतकार भी है। यह व्यक्ति बहुप्रतिभा के धनी है तथा अपने कई कलाओं के साथ क्षेत्र में विख्यात है।

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