देश को मिले 341 जांबाज सेना ऑफिसर

मित्र देशों के 84 युवा अधिकारी भी सैन्य अकादमी से हुए पासआउट
बारिश के कारण दो घंटे देरी से शुरू हुई पासिंग आउट परेड़
देहरादून। भारतीय सैन्य अकादमी में पासिंग आउट परेड़ में अंतिम पग पार करने के बाद 341 युवा अफसरों की टोली देश पर मर-मिटने की शपथ लेकर शनिवार को भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गई। सेना के दक्षिण-पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग ले. जनरल आरपी सिंह ने बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर परेड़ का निरीक्षण कर पासिंग आउट जेंटलमैन कैडेट्स से सलामी ली।
ऐतिहासिक चेटवुड भवन के सामने ड्रिल स्क्वायर पर परेड़ शुरू हुई। सेना के दक्षिण-पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग ले. जनरल आरपी सिंह ने बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर परेड़ का निरीक्षण कर जेंटलमैन कैडेट्स से सलामी ली। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस बार भी परेड़ सादगी से आयोजित हुई। बारिश की वजह से शनिवार को पासिंग आउट परेड़ दो घंटे की देरी से शुरू हुई। डिप्टी कमांडेंट जगजीत सिंह ने परेड़ की सलामी ली। जिनके पश्चात कमांडेंट हरिंदर सिंह ने परेड़ की सलामी ली। उनके बाद ले. जनरल आरपी सिंह परेड़ स्थल पहुंचे और परेड़ की सलामी ली।
पिछली बार की तरह इस बार भी कैडेट्स के परिजन पासिंग आउट परेड़ नहीं देख पाए। परेड़ के उपरांत आयोजित पीपिंग व ओथ सेरेमनी के बाद 425 जेंटलमैन कैडेट्स बतौर लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेनाओं का अभिन्न अंग बन गए। इनमें 341 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिले। जबकि, 84 युवा सैन्य अधिकारी नौ मित्र देशों अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, भूटान, मॉरीशस, श्रीलंका, वियतनाम, टोंगा, मालदीव और किर्गिस्तान की सेना का अभिन्न अंग बने। इसके बाद देहरादून स्थित प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 62 हजार 987 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया है। इनमें मित्र देशों को मिले 2587 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं। ले. जनरल सिंह ने कैडेटों को ओवरऑल बेस्ट परफॉर्मेंस व अन्य उत्कृष्ट सम्मान से नवाजा। मुकेश कुमार को स्वार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। जबकि दीपक सिंह को स्वर्ण, मुकेश कुमार को रजत व लवनीत सिंह को कांस्य पदक मिला। दक्ष कुमार पंत ने सिल्वर मेडल (टीजी) हासिल किया। किन्ले नोरबू सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट चुने गए। चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ बैनर डोगराई कंपनी को मिला।

परेड़ पर दिखा कोरोना का असर
देहरादून। कोरोना संकट के चलते पासिंग आउट परेड में तमाम स्तर पर एहतियात बरती गई। न केवल दर्शक दीर्घा बल्कि परेड़ के दौरान भी शारीरिक दूरी के नियमों का पूरा पालन किया गया। हर मार्चिंग दस्ते में अमूमन दस कैडेट्स एक लाइन में होते हैं, पर इनकी संख्या आठ रखी गई। ताकि कैडेटों के बीच रहने वाली 0.5 मीटर की दूरी के बजाए दो मीटर की दूरी बनी रहे। इसके अलावा जेंटलमैन कैडेटों के साथ ही सभी सैन्य अधिकारी भी मास्क पहने रहे। पीओपी के मद्देनजर अकादमी के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई। चप्पे-चप्पे पर सेना के सशत्र जवान तैनात रहे। पासिंग आउट परेड के दौरान शनिवार सुबह छह बजे से पूर्वाह्न 11 बजे तक पंडितवाड़ी से लेकर प्रेमनगर तक जीरो जोन रहा। इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग-72 (चकराता रोड) से गुजरने वाला यातायात प्रेमनगर व बल्लूपुर से डायवर्ट रहा।
मातृभूमि की रक्षा के लिए वीरभूमि उत्तराखंड़ के युवा हमेशा से आगे रहे हैं। सेना में सिपाही का रैंक हो या फिर अधिकारी सभी में उत्तराखंड का दबदबा कायम है। इस बार भी वीरभूमि के 37 युवा भारतीय सेना में अफसर बने हैं। इस बार पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के 66 और हरियाणा के 38 कैडेट्स पास आउट हुए।

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