यूपी में नदियों के किनारे बसे शहरों का होगा सुनियोजित विकास

लखनऊ। प्रदेश सरकार अब नदियों के किनारे बसे शहरों का सुनियोजित विकास करने जा रही है। इसके लिए सरकार मास्टर प्लान तैयार करवा रही है। इसमें नदियों के किनारे बसे 32 शहरों में रिवर फ्रंट विकसित कर उन्हें खूबसूरत बनाया जाएगा। योगी सरकार इनके जरिये पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। दरअसल, केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत प्रदेश के 59 शहरों का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। यह जिम्मेदारी नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग को दी गई है।

अमृत योजना के तहत नदियों के किनारे का विकास कराया जाना है। इस आधार पर प्रदेश की छोटी-बड़ी नदियों के किनारे बसे शहरों में अहमदाबाद की साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर रिवर फ्रंट विकसित होंगे। नवंबर तक मास्टर प्लान को अंतिम रूप मिलने की उम्मीद है। प्रदेश के मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश के 32 शहर छोटी-बड़ी नदियों के किनारे बसे हैं। इन सभी नदियों के किनारे के विकास की योजना बनाई जा रही है। इसका मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसके तहत यहां घाट बनाए जाएंगे, टहलने के लिए पाथवे बनाया जाएगा। नदी किनारे पार्क व हरियाली भी विकसित की जाएगी। अपर मुख्य सचिव कृषि, डा. देवेश चतुर्वेदी ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है वे लाइसेंसधारक कीटनाशक विक्रेताओं का नियमित निरीक्षण कराएं। इसमें यह भी देखा जाए कि कीटनाशक विक्रेताओं की ओर से किसानों को अनिवार्य रूप से भुगतान की रसीद उपलब्ध कराई जा रही है। यदि जिले में कीटनाशक विक्रेताओं की ओर से भुगतान की रसीद उपलब्ध न कराने की शिकायत मिलती है तो संबंधित का उत्तरदायित्व तय करते हुए कठोर कार्रवाई की जाए।

अपर मुख्य सचिव कृषि, डा. चतुर्वेदी ने बताया कि कुछ जिलों से ऐसी शिकायतें मिल रही है कि कीटनाशक विक्रेता किसानों को भुगतान की रसीद उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। ऐसी स्थिति में किसानों को गड़बड़ रसायन बेचने की आशंका रहती है, जिससे फसलों की नुकसान होने का डर है। उन्होंने बताया कि डीएम को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि कैश मैमो या क्रेडिट मैमो में कीटनाशक का नाम, उत्पादन व एक्सपायरी तारीख व बिक्री का मूल्य अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए।

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