उन्नाव। शिकायती पत्र की जांच में गलत रिपोर्ट लगाकर पीड़ितों को दर्द देने वाले व जुगाड़ के बल पर उगाही व अन्य भ्रष्टाचार में लिप्त सालों से जमे पुलिसकर्मियों की अब खैर नहीं। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद ऐसे पुलिसकर्मियों को सबक सिखाने के लिए प्रदेश की एक विशेष खुफिया विंग (पुलिस) को जिम्मेदारी दी गई है।
लोकसभा चुनाव में प्रदेश से खराब प्रदर्शन के बाद हाल ही में मुख्यमंत्री ने अधीनस्थों के साथ बैठक की थी। जिसमें कई अहम फैसले लिए गए हैं। समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि जिलों में पुलिस की तानाशाही बरकरार है। भ्रष्टाचार के चलते पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
जुगाड़ के बल पर कई पुलिसकर्मी सालों से थाना-चौकी में जमें हैं। जो पीड़ितों को न्याय देने की जगह उनसे उगाही करते हैं और निस्तारण की जगह दूसरे पक्ष से सांठगांठ कर शिकायती पत्र को या तो रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं या फर्जी रिपोर्ट लगाकर निस्तारण दिखा देते हैं। उच्चाधिकारी भी वही देखते हैं जो निचला स्तर दिखाता है।
वसूली में लिप्त ऐसे कर्मियों को सबक सिखाने व उन्हें जिले से बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना लिया गया है। ऐसे पुलिसकर्मियों को चिह्नित कर सूचीबद्ध करने के लिए प्रदेश स्तर पर गठित एक खुफिया विंग को जिम्मेदारी दी गई है। जिले में तैनात इस विंग के सदस्यों ने गोपनीय रूप से ऐसे पुलिस कर्मियों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। इस टीम के कार्य में जिले के किसी पुलिस अधिकारी का हस्तक्षेप नहीं होगा। अभियान अतिगोपनीय होने से जागरण खुफिया विंग का नाम उजागर नहीं कर रहा है।
भ्रष्टाचार पर चोट के लिए उठाया गया कदम
समय-समय पर कार्यशाला गठित कर पुलिस कर्मियों को इस बात की सीख दी जाती है कि वह निष्पक्ष होकर कार्य करें। इसके बाद भी पुलिस कर्मी मानने को तैयार नहीं है। भ्रष्टाचार के समय-समय पर इन पर आरोप लगते हैं। शिकायत करने वाले पीड़ित व उसके विपक्षी दोनों से उगाही करते हैं। ऐसा करने वाले वह पुलिस कर्मी हैं, जो एक ही थाना-चौकी में सालाें से डटे हैं।