ब्रह्मज्ञान के माध्यम से शिव तत्व को भीतर घट में प्रकट किया जाता है – डॉ. सर्वेश्वर

देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से दिल्ली क्षेत्र के डी. डी. ए ग्राउंड, रोहिणी सेक्टर-16 में 9-15 जून 2024 तक सात-दिवसीय भगवान शिव कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। कथा केप्रथम दिवस गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य डॉ. सर्वेश्वर जी ने कथा माहात्म्य का वर्णन करते हुए बताया कि भारतीय संस्कृति के प्राण चिरकाल से ही आध्यात्मिकता में बसते हैं। इसी आध्यात्मिक शक्ति के संवाहक रहें हैं  हमारे आर्ष ग्रन्थ। वेद, पुराण, उपनिषद् इत्यादि ने सदैव जनमानस के सामने सफल जीवन जीने के सूत्र रखे हैं। इन्हीं पुराणों का सार प्रभु की पावन कथा द्वारा संतों महापुरुषों के माध्यम से समाज में प्रसारित किया जाता रहा है। अगर बात करें भगवान भोलेनाथ की पावन कथा की तो आज भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में भगवान शिव के असंख्य भक्त उनकी उपासना करते हैं। विश्व की विभिन्न प्राचीन सभ्यताओं में भी भगवान शिव की उपासना के प्रमाण मौजूद हैं। और ये हो भी क्यों न? भगवान शिव तो देवों के देव महादेव हैं। भक्ति और शक्ति का संगम हैं महादेव। वैराग्य व योग के अधिष्ठाता हैं महादेव। समाज से बहिष्कृत भूत प्राणियों के एकमेव आश्रय स्थल भूतनाथ हैं महादेव। और भारत देश की तो आत्मा हैं महादेव। जिस प्रकार बिना आत्मा के देह शव हो जाती है, उसी प्रकार बिना शिवतत्व के यह विश्व भी निष्प्राण है।जब-जब भी समाज से शिव तत्व लुप्त हुआ तब-तब समाज पतन को प्राप्त हुआ है। आज समाज में व्याप्त हिंसा, वैमनस्य, मतभेद सब शिव तत्व का समाज से विलुप्तिकरण ही दर्शाते हैं। और प्रभु की यह पावन कथा उसी सनातन शिव तत्व को उजागर करने आई है। शिव तत्व को ब्रह्मज्ञान के माध्यम से घट में प्रकट करने आई है। कथा का समापन प्रभु की पावन आरती से किया गया।

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