महात्मा गांधी से सीख सकते हैं ये तीन वित्तीय सबक, लंबी अवधि में होगा बड़ा फायदा

नई दिल्ली। देश की आजादी को लेकर महात्मा गांधी द्वारा किए गए संघर्ष और त्याग से सभी अवगत हैं। इसके साथ ही गांधी जी या बापू के विचार और सिद्धांत आज के समय में भी प्रासंगिक हैं और नई पीढ़ी को प्रेरणा देने वाले हैं। अगर आप ध्यान से चीजों का विश्लेषण करेंगे तो यह पाएंगे कि गांधी जी के जीवन से आपको कई ऐसे वित्तीय सबक मिलते हैं, जिससे आप अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर पाएंगे। गांधी जयंती के दिन आइए समझते हैं कि बापू के सबक किस तरह हमारी वित्तीय स्थिति को मजबूत करते हैं और कठिन परिस्थितियों से आसानी से बाहर निकलने में मदद करते हैं। गांधी जी ने बहुत छोटे स्तर से आजादी के संघर्ष की शुरुआत की थी। उन्होंने लोगों को एकजुट किया था और फिर पूरे अभियान को जन-जन के अभियान के रूप में तब्दील किया था। सबसे अहम शुरुआत करना था। इसी तरह जब बात फाइनेंस और निवेश की आती है, तो इसके लिए सबसे अहम हो जाता है शुरुआती झिझक को छोड़कर शुरू करना। आप कम रकम से शुरुआत कर सकते हैं और बाद बड़ा फंड बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर इक्विटी मार्केट में मौजूद संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए 500 रुपये प्रति महीने से सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान शुरू कर सकते हैं। बाद में इस धनराशि को और बढ़ा सकते हैं। आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, आपके पास अपनी धनराशि को और अधिक बढ़ाने का समय होगा। अपने लंबे अवधि या छोटे अवधि के लक्ष्य की तुलना में आपको जल्द प्लान करना चाहिए और उसी हिसाब से इंवेस्ट करना चाहिए।

आजादी की लड़ाई के दौरान ब्रिटेन की सरकार ने गांधी जी को कई बार जेल भेजा था और कई तरह से परेशान किया था। हालांकि, इससे वह बिल्कुल भी नहीं डिगे और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उल्लेखनीय लचीलता का परिचय दिया। फाइनेंस और निवेश एक-दूसरे से अलग नहीं हैं। कई बार ऐसा वक्त आएगा, जब चीजें आपके प्लान के हिसाब से नहीं चलेंगी। ऐसे समय में घबराने और झल्लाने की कोई जरूरत नहीं है। यह इक्विटी के मामले में बिल्कुल सही है क्योंकि यह वास्तव में काफी उतार-चढ़ाव वाले वर्ग से आता है। कई पहलू उनके प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं और उनमें से अधिकतर पर निवेशकों का कोई जोर नहीं होता है।

बहुत अधिक उतार-चढ़ाव वाले समय में आपको धीरज रखने की जरूरत होती है और ऐसे वक्त में आपको जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं करना चाहिए। इससे आपके मुनाफे पर असर पड़ सकता है और कई बार तो सही मायने में नुकसान हो सकता है। इसे इस उदाहरण से समझिए कि जब मार्च, 2020 में शेयर बाजार बिल्कुल धाराशायी हो गया था, उस समय जिसने निवेश बनाए रखा, वह आज ऐसे समय में काफी अधिक मुनाफे पर है जब शेयर बाजार रोज नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। बापू के पास भव्य जिंदगी जीने के साधन और संसाधन मौजूद थे, लेकिन उन्होंने बिल्कुल सरल जीवन को चुना। उनके कपड़े, सामान, खाने और सबकुछ बहुत साधारण हुआ करते थे। फाइनेंस के मामले में भी यही चीजें सबसे अहम हैं। चीजों को सिंपल रखने से आपको अपने फाइनेंस और इंवेस्टमेंट को मॉनिटर करने में आसानी होती है। इसके साथ ही आपको ऐसे इंस्ट्रुमेंट्स में इंवेस्ट करने से बचना चाहिए, जो रेगुलेटेड नहीं हैं। आप अपने फाइनेंस को जितना सिंपल रखेंगे, आपको किसी भी जरूरी बदलाव के बारे में समझने में उतनी ही मदद मिलेगी। दूसरी ओर, जटिल रुख से आपको दिक्कत हो सकती है और इंवेस्टमेंट में किसी तरह की चूक हो सकती है। इस तरह कुल-मिलाकर कहा जा सकता है कि चीजों को सिंपल रखने से आपको अपनी जरूरत के मुताबिक अपने फाइनेंस को बेहतर ढंग से दिखाने में मदद मिलती है। गांधी जी ने कहा था, “हमारा भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम वर्तमान में क्या कर रहे हैं।” इस कथन का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि हमारे वर्तमान में लिए गए निर्णय यह तय करते हैं कि भविष्य में हमारी आर्थिक स्थिति कैसे रहने वाली है। बापू के जीवन से हमें मुश्किल परिस्थितियों में अनुशासन के साथ धैर्य रखने का सबक मिलता है। इससे हम अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर सकते हैं।

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