वाराणसी: दुनियाभर में मनाये जा रहे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बीच सुमन पटेल की कहानी, ढृढ़ संकल्प और सशक्तिकरण के एक बेमिसाल उदाहरण को दर्शाती है। सिर्फ 26 साल की उम्र में, दो बच्चों की माँ, सुमन ने अपनी जिंदगी को संभालने और नए मौकों को अपनाने के अपने अटूट संकल्प के जरिए, तमाम मुश्किलों को पार करते हुए, अपने जीवन को एक नई दिशा देने का काम किया।
वाराणसी के डोमरी गांव में, जहां परंपरागत रूप से महिलाओं की जिम्मेदारी घर के कामों तक ही सीमित रहती थी, सुमन का सफर दो साल पहले शुरू हुआ था, जब उन्होंने अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के ‘नंद घर’ प्रोजेक्ट के साथ मिलकर अपनी जिंदगी बदलने का फैसला लिया। इस प्रोजेक्ट के तहत, अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (आफ) आंगनबाड़ियों को आधुनिक ‘नंद घर’ में तब्दील करने का काम करता है, जो महिला और बाल विकास के लिए एक आदर्श केंद्र की तरह है, जहां दिन में बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाती है और दोपहर में महिलाओं को हुनर सिखाए जाते हैं। इन्हीं ट्रेनिंग्स में से एक है सिलाई और कढ़ाई, जो शौक के तौर पर शुरू हुआ, लेकिन बाद में सुमन के लिए एक जुनून सा बन गया। कुछ सीखने और आगे बढ़ने की इच्छा के साथ, सुमन ने ‘नंद घर’ के सपोर्टिव माहौल में अपने हुनर को निखारने के हर अवसर का लाभ उठाया।
सुमन आज अपने समुदाय में आर्थिक रूप से स्वतंत्र महिला की एक मिसाल बन चुकी हैं। वह अपने खाली समय में विभिन्न दुकानदारों के लिए सुंदर चटाईयां, ब्लाउज और कपड़े बनाकर, कुछ ही समय में मासिक रूप से की अधिक आमदनी कमा पा रही हैं, जो उनके परिवार की आर्थिक रूप से भी मदद कर रहा है । वह अपने घर के कामों को भी बखूबी निभाती हैं। उनकी सफलता ने न केवल उनके परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है बल्कि समाज, जिसमें उनके ससुराल वाले भी शामिल हैं, की पुरानी सोच को भी बदला है, जो अब उन्हें पूरे गर्व के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
सुमन अपनी उपलब्धि पर हर्ष महसूस करते हुए कहती हैं कि, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि सिलाई के प्रति मेरा प्रेम, मुझे इस तरह सफलता की राह पर आगे लेकर जायेगा। आफ और नंद घर ने मुझमें ऐसी क्षमता देखी जो दूसरों को नहीं दिखाई दी, और उन्होंने मुझे अपने सपनों को पूरा करने के लिए जरुरी साधन व आत्मविश्वास प्रदान किया।”
सुमन अपने सिलाई कौशल को निखारने और अपने हुनर को बेहतर बनाने में अपने क्लस्टर कोऑर्डिनेटर के मार्गदर्शन व सलाह को पूरा श्रेय देती हैं। नंद घर द्वारा दिए गए व्यावहारिक ट्रेनिंग और आवश्यक संपर्कों के जरिये, सुमन ने न केवल अपने हुनर को निखारा है बल्कि पहले उनकी पहुंच से बाहर रहे बाजार के अवसरों तक भी अपनी पहुंच स्थापित की है।
वाराणसी के नंद घर की टीम सुमन के इस पूरे सफर को एक सच्ची नारी शक्ति का प्रतीक बताती है और यह कहते हुए गौरवान्वित महसूस करती है कि, “उनका हौसला और दृढ़ संकल्प यह दर्शाता है कि जब महिलाओं को सही समर्थन और अवसर मिलते हैं तो उनकी असीमित क्षमता का सबूत देखने को मिलता है।”
इस महिला दिवस पर सुमन अपने सफर को याद करते हुए, उन्हें बड़े सपने देखने और उसे पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए “नंद घर” का आभार व्यक्त करती हैं। सुमन उन 15,000 महिलाओं में से एक हैं, जिन्हें वाराणसी में आफ ने 1421 से अधिक “नंद घरों” के माध्यम से ट्रेनिंग, ऋण तक पहुंच और सहायता सेवाएं प्रदान करके, उद्यमिता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। यहां, ग्रामीण परिदृश्य और स्थानीय अर्थव्यवस्था के आधार पर, लोकल व्यवसायों का चुनाव किया जाता है। एक निश्चित अवधि के अंतर्गत प्रति बैच 30 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाता है। ट्रेनिंग के बाद, महिलाओं को रोजगार मिलता है और आवश्यकतानुसार उन्हें बिज़नेस प्लान बनाने में मदद भी की जाती है। स्वतंत्रता और आत्मविश्वास की नई भावना के साथ, ये महिलाएं एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर रही हैं जहां वे अपने कौशल को आगे बढ़ाना जारी रख सकें और अपने परिवार की भलाई में अधिक योगदान दे सकें।
जहां आज भी दुनिया में लैंगिक समानता एक जटिल समस्या बनी हुई है, वहीं सुमन पटेल की कहानी हमें याद दिलाती है कि दृढ़ता और उचित समर्थन के साथ, महिलाएं बाधाओं को तोड़ सकती हैं, उम्मीदों को चुनौती दे सकती हैं और अपनी सफलता की राह खुद बना सकती हैं। इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, आइए हम दुनिया की अन्य तमाम सुमन पटेलों के लिए खुशियां मनाएं और सभी के लिए एक समावेशी तथा समान अधिकारों वाला समाज बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करें।