-जिसे जन्मजात हृदय विकार था
ग्वालियर। मशहूर स्वास्थ्य सेवा संस्थान, पारस हैल्थ ने पीडियाट्रिक कार्डियेक केयर में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए गंभीर रूप से बीमार एक 4 महीने के शिशु की ओपन हार्ट सर्जरी की। इस शिशु का वजन काफी कम था, और विभिन्न सहरुग्णताओं के साथ उसे कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट था। ग्वालियर के इस नवजात शिशु की हालत गंभीर पल्मोनरी आर्टेरियल हाईपरटेंशन ऑक्सीजन डिपेंडेंसी और ब्रॉन्कोनिमोनिया के साथ लार्ज वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) के कारण काफी खराब थी। यह शिशु काफी खराब स्थिति में था, और उसे साँस लेने, दूध पीने में दिक्कत हो रही थी, और वह 20 मिनट से ज्यादा समय तक अपनी माँ का दूध चूस नहीं पा रहा था। उसे जन्म के बाद से ही बार-बार निमोनिया के झटके लग रहे थे, और रिफ्रैक्टर हार्ट फेल्योर के लक्षणों के साथ वह ऑक्सीजन पर निर्भर था।
इस शिशु को ग्वालियर के मंगल नर्सिंग होम में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कराया गया और ऑक्सीजन एवं वैंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। यहाँ पारस हैल्थ गुरुग्राम में सीनियर कंसल्टैंट, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, डॉ. दीपक ठाकुर ने उसके विकार का निदान किया। सर्जरी की आपात जरूरत को पहचानकर शिशु को तुरंत पारस हैल्थ में ले जाने की व्यवस्था की गई, और एंबुलैंस में शिशु के साथ पैरामेडिकल स्टाफ को भेजा गया। इस मामले में तुरंत डायग्नोसिस और विशेषज्ञ देखभाल अति आवश्यक थी, जो पारस हैल्थ में पहुँचने से पहले अन्य अस्पतालों में नहीं मिल सकी।
इस शिशु के इलाज की योजना व उसकी चुनौतियों के बारे में डॉ. दीपक ठाकुर, सीनियर कंसल्टैंट, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, पारस हैल्थ गुरुग्राम ने कहा, ‘‘5 किलोग्राम से कम वजन के अत्यधिक बीमार छोटे से शिशु की ओपन-हार्ट सर्जरी करने की अद्वितीय चुनौतियाँ थीं। लेकिन पारस हैल्थ में विशेषज्ञ टीम और आधुनिक उपकरणों की मदद से हमने वीएसडी को रिपेयर करने और उससे जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की। हमने सर्जरी योजनाबद्ध तरीके से की और उससे जुड़ी जटिलताओं का अनुमान लगाकर उन्हें रोक दिया। अच्छी बात यह रही कि हमारे सामने कोई बड़ी समस्या नहीं आई क्योंकि हमने जटिलताओं को कम करने के लिए एक प्रोटोकॉल बनाकर इलाज किया था। सर्जरी के बाद शिशु को हमारे आईसीयू में इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया, और उसे सुगमता से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए सतर्कता से उसकी मॉनिटरिंग और स्वास्थ्य प्रबंधन किया गया।’’
डॉ. ठाकुर ने इस सर्जिकल प्रक्रिया और उसकी जटिलताओं के बारे में बताया, ‘‘छोटे शिशुओं में बाईपास या सेंट्रल लाईन प्लेसमेंट के दौरान वैस्कुलर ट्रॉमा जैसी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। हमने समस्याओं से बचने के लिए छोटे उपकरण और विशेष तकनीकों का उपयोग किया। बाईपास की दवाओं की खुराक बहुत सावधानी से दी गई, ताकि हृदय को लंबे समय तक रोके बिना केवल आवश्यक अंतराल के लिए ही रोका जा सके। एक दूसरा जोखिम सर्जरी के दौरान हृदय के ब्लॉक हो जाने का था। लेकिन हमारी टीम ने विशेषज्ञ उपकरणों और टाँकों की मदद से इस जोखिम को कम कर दिया।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘प्रारंभिक मेडिकल केंद्रों और विशेषज्ञ कार्डियेक केयर सेंटर के बीच प्रभावशाली समन्वय बहुत महत्वपूर्ण होता है। पारस हैल्थ में पीडियाट्रिक सीटीवीएस आईसीयू और विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम है, जो शिशु के यहाँ पहुँचने पर वैंटिलेटर सपोर्ट के साथ उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी।’’
शिशु को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है, और उसे अब किसी दवा या इलाज की जरूरत नहीं है । स्थानीय हॉस्पिटल मंगल नर्सिंग होम में इस गंभीर जन्मजात हृदय विकार के लिए इस तरह का मेडिकल मैनेजमेंट और पारस हैल्थ के साथ समन्वय ग्वालियर क्षेत्र और इसके आसपास के लोगों को एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि अब ऐसी गंभीर स्थिति में जन्म लेने के बाद भी शिशुओं की जान बचाई जा सकती है, और वो सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। हृदय विकार की समय पर पहचान से ऐसे शिशुओं की जान बचाई जा सकती है। यह उपलब्धि आधुनिक पीडियाट्रिक केयर प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती है और छोटे शिशुओं में भी जन्मजात हृदय विकार के इलाज के एक अग्रणी केंद्र के रूप में पारस हैल्थ की स्थिति को उजागर करती है।
पारस हैल्थ में आने वाले जन्मजात हृदय विकार के लगभग 50 प्रतिशत मामले गुरुग्राम और हरियाणा के बाहर के होते हैं। इनमें से ज्यादातर पंजाब, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश से आते हैं। पिछले दो सालों में इस हॉस्पिटल में 250 से ज्यादा पीडियाट्रिक कार्डियेक केयर सर्जरी की जा चुकी हैं। पारस हैल्थ मंगल नर्सिंग होम, ग्वालियर में पीडियाट्रिक कार्डियेक सर्विसेज़ प्रदान करती है, जहाँ मरीजों का परीक्षण किया जाता है, और यदि उनमें जन्मजात हृदय विकार पाया जाता है, तो आगे के इलाज के लिए आवश्यक परामर्श दिया जाता है।
हम डॉ. दीपक अग्रवाल के नेतृत्व में मंगल नर्सिंग होम के इस अभूतपूर्व कार्य की सराहना करते हैं, जिसने इस शिशु में समय पर जन्मजात हृदय रोग का पता लगाकर उसकी जान बचा ली, और उसे रिफर करने से पहले संपूर्ण प्राथमिक देखभाल प्रदान की।