सातवें ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल में फोटोग्राफ प्रदर्शनी का आयोजन

सोशल मीडिया ने दी है हिंदी को अलग पहचान
चंडीगढ़: किसी भी तस्वीर को खींचते वक़्त फोटोग्राफर की मनःस्थिति का पता चलता है चाहे वह प्रकृति की फोटो खींच रहा हो या किसी खूबसूरत महिला की, उसके मानस पटल पर क्या अंकित हो रहा है यह हम उस तस्वीर को देखकर पता लगा सकते है, यदि दस फोटोग्राफर को एक जगह इकट्ठा किया जाए तो सभी की फोटोग्राफ अलग होगी, सातवें ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल के पहले दिन हमारे छात्रों ने अपने कैमरे से ली गयी फोटो की प्रदर्शनी का वर्चुअल आयोजन किया और मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है यह कहते हुए की पेंडेमिक में भी मारवाह स्टूडियो के छात्रों ने बहुत अच्छा काम किया यह कहना था एएएफटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. संदीप मारवाह का। इस अवसर पर महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोशियार, त्रिनिदाद और टोबैगो के हाई कमिशनर डॉ. रॉजर गोपॉल, बुर्किना फासो एम्बेसी के कौंसुलर अफेयर के हेड कोउलिबल डी हर्व, उज़्बेकिस्तान के राजदूत दिलशाद अखतोव, लायंस क्लब दिल्ली के चार्टर प्रेजिडेंट गौरव गुप्ता, इंदरजीत घोष और फिल्म मेकर अनिल जैन उपस्थित रहे। भगत सिंह कोशियार ने कहा कि हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में काफी सुंदर साहित्य लिखा गया है चाहे वो बंगाली हो, मराठी हो, तमिल तेलुगु हो या फिर गुजराती, हर साहित्य की अपनी अलग पहचान है जिसे हर इंसान को पढ़ना चाहिए, हमारा साहित्य इतना विशाल है की विदेशी भाषाओं में भी हमारे वेद और पुराणों का भी अनुवाद किया गया है।
रॉजर गोपॉल ने कहा कि इस तरह के आयोजन लोगों में जागरूकता तो लाता ही है साथ साथ अपनी संस्कृति से भी रूबरू कराता है। इंदरजीत घोष ने कहा कि हमारी संस्कृति काफी कलरफुल है और हमारी भाषा व साहित्य की तुलना अन्य किसी से नहीं की जा सकती। दिलशाद अखतोव ने बताया की हमारे देश में हमारी भाषा को लेकर काफी सम्मान है और वहां लिटरेसी रेट बहुत ज्यादा है जिसका श्रेय हम अपनी सरकार को देते है जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा कार्य किये है। गौरव गुप्ता ने कहा कि हर इंसान को नए को अपनाने का जज़्बा होना चाहिए आज हिंदी ने अपना वो मुकाम बना लिया है, इंस्टा, ट्विटर, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर लोग अपनी बात को हिंदी में कहना पसंद करते है।

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