देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्वांस से संबंधित रोगियों के लिए विशेष तोर पर ‘शरद पूर्णिमा आयुर्वैदिक उपचार शिविर’ का आयोजन 70 इंदिरा गांधी मार्ग निरंजनपुर, देहरादून में रात्रि 8 बजे से सुबह 5 बजे तक किया गया। इस शिविर में दमा, पुरानी खांसी, नजला, श्वांस से अन्य रोगों के इलाज हेतु वेदिककालीन आयुर्वैदिक पद्धाति हजारों लोग इन शिविरों के माध्यम से लाभान्वित होते रहे।
अश्विन मास की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक नजदीक होने के कारण इसकी किरणों का प्रभाव अमृत तुल्य होता है। साध्वी अरूणिमा भारती जी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि शरद पूर्णिमा में शरीर, मन और आत्मा को सुदृढ़ करने वाले औषधीय गुण होते है। इसी कारण पूरे दिन उपवास रखकर रात में, खुली चांदनी में मिट्टी या चांदी के बर्तन में पकाई एवं रखी गई खीर का सेवन किया जाता है। यह खीर सर्दियों की शुरूवात के साथ बढ़ने वाले पित रोग के प्रभाव को शांत करती है। आयुर्वैदिक चिकित्सक ने बताया कि शरण पूर्णिमा की रात आयुर्वैदिक औषधियुक्त खी का सेवन करने और साथ मंे उचित परहेज रखने से दमा, खांसी व अन्य श्वांस संबंधित रोग हमेशा के किये दूर हो जाते है साथी ही संस्थान के प्रवक्ता साध्वी अरूणिमा भारती जी ने बताया कि इस त्यौहार का महान आध्यात्मिक महत्व भी है और इसलिए संस्थान प्रतिवर्ष इस त्यौहार के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और चिकित्सीय गुणों को पुनर्जीवित करने के आशय से इस शिविर का आयोजन करता है।
इस वर्ष भी शिविर में बड़ी संख्या में पुरूषों, महिलाओं, बच्चों और नियमित रूप से आने वाले लाभार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरूवात सामूहिक प्रार्थना और भजन के साथ की गई। रात भर जगने की व्यवस्था हेतु सांस्कृतिक व आध्यात्मिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए साथ ही मरीजों को आयुर्वेदिक दवाओं के समग्र लाभ पर भी जागरूक किया गया। आयुर्वैदिक डॉक्टरों द्वारा सभी रोगों के लिए मुफ्त परामर्श और बुनयादी स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराई गयी।