ऊषा ने अंबाला में 140 से भी ज़्यादा युवा प्रतिभागियों के साथ पारंपरिक मार्शल आर्ट गटका को जीवंत किया

अंबाला। भारत के जानेमाने कंज्यूमर ड्यूरेबल्स ब्रांड ऊषा ने सोशल एजुकेशन वॉलंटरी एसोसिएशन (SEVA) ट्रस्ट, यूके के साथ साझेदारी कर हरियाणा के अंबाला में गटका टूर्नामेंट का आयोजन किया। यह कार्यक्रम ब्राइट फ्यूचर आई.ए. ए सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 10 से 19 वर्ष की आयु के लगभग 140 से भी ज़्यादा बच्चों और किशोरों ने भाग लिया जिसमें सभी लड़कियों और लड़कों ने इस प्राचीन मार्शल आर्ट रूप में अपने हुनर को दिखाया। अपने इस सहयोग के साथ, ऊषा सामुदायिक कल्याण और स्वास्थ्य में योगदान देने वाले स्थानीय खेलों को पुनर्जीवित करने की अपनी प्रतिबद्धता जारी रखती है। ऊषा सिलाई स्कूल में महिलाएं, जो इन कार्यक्रमों के आयोजन और इनमें भाग लेने में युवाओं की मदद करती हैं, वो इसकी प्रतिबद्धता को और ज़्यादा मजबूत करती हैं।
गटका सिख इतिहास में निहित एक पारंपरिक मार्शल आर्ट है, जहां प्रतिभागी तलवारों की नकल करने के लिए लकड़ी की छड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। यह एक ऐसी प्रथा है जो 15वीं सदी से चली आ रही है, जो आत्मरक्षा और खेल दोनों के रूप में काम करती है। पिछले कुछ सालों में, गटका में कई नई तकनीकों को शामिल किया गया है जो आक्रामक और रक्षात्मक दोनों हैं।
कार्यक्रम में शीर्ष सम्मान सीनियर लड़कों में गुरजंत सिंह, मिरी पीरी सिख आर्ट्स अकादमी ने ने (स्वर्ण पदक), जूनियर लड़कियों में रवनीत कौर, अकाल अकादमी ने (स्वर्ण पदक), जूनियर लड़कों में ब्राइट फ्यूचर आईएए ने (स्वर्ण पदक) जीते। साथ ही सब जूनियर लड़कों में दशमेश, गटका अखाड़ा ने (स्वर्ण पदक) और सब जूनियर लड़कियों में जसप्रीत कौर, ब्राइट फ्यूचर आईएए ने (स्वर्ण पदक) जीते। मुख्य अतिथि शमिंदर गरचा द्वारा विजेताओं को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र सहित ऊषा के सौजन्य से पुरस्कार भी दिए गए।
इस साझेदारी पर टिप्पणी करते हुए, कोमल मेहरा, हेड – स्पोर्ट्स इनिशिएटिव्स एंड एसोसिएशन, ऊषा इंटरनेशनल ने कहा कि ऊषा में हम उन संगठनों से लगातार जुड़ते रहेंगे जो न केवल भारत की समृद्ध विरासत के एक महत्वपूर्ण हिस्से का सम्मान करते हैं बल्कि सक्रिय और स्वस्थ जीवन को भी बढ़ावा देते है। हमारा ब्रांड ‘प्ले’ उन खेलों और गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है जो सामुदायिक और व्यक्तिगत कल्याण दोनों का निर्माण करते हैं। गटका भी यही करता है। यह एक मार्शल आर्ट से कहीं बड़कर है, यह एक ऐसा अभ्यास है जो दिमाग को तेज करता है, शरीर को मजबूत बनाता है और खेल भावना को बढ़ावा देता है।
ऊषा की पहल पूरे भारत में समावेशी खेल गतिविधियों के व्यापक दायरे तक पहुंचती है। खेलों में विविधता और पहुंच के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करने के लिए हम बड़ी सावधानीपूर्वक साझेदारियों को चुनते हैं। क्रिकेट में मुंबई इंडियंस के साथ सहयोग करने से लेकर अल्टीमेट फ्रिस्बी और गोल्फ को बढ़ावा देने तक, हमारी पहुंच व्यापक और समावेशी है। ख़ास तौर पर दिव्यांग लोगों के लिए क्रिकेट जैसे अनुकूली खेलों और दृष्टिबाधित लोगों के लिए डिज़ाइन किए गए खेलों जैसे एथलेटिक्स, कबड्डी, जूडो और पावरलिफ्टिंग पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा, ऊषा कई पारंपरिक भारतीय खेलों जैसे की कलारी, छिंज, सियाट खानम, थांग-ता, साज़-लोंग, सातोलिया (आमतौर पर पिथु के नाम से जाना जाता है), और मल्लखंब को भी समर्थन देता है।

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