राज्य के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करें, इसके लिए सरकार की ओर से नई खेल नीति बनाते हुए इसमें खेलों के विकास के लिए कई व्यवस्थाएं की गई हैं। बताया, खेल नीति में न सिर्फ पदक विजेता खिलाड़ियों एवं प्रशिक्षकों को दिए जाने वाले पुरस्कारों की राशि बढ़ाई गई है, बल्कि खिलाड़ियों को दी जाने वाली सुविधाओं में भी इजाफा किया गया है।
बताया, राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ियों को छह लाख, रजत पदक विजेता को चार लाख और कांस्य पदक विजेता खिलाड़ियों की पुरस्कार की राशि तीन लाख रुपये की गई है। खिलाड़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए कई विभागों में सरकारी नौकरी की भी व्यवस्था की गई है।
ये होगी चुनौती
राष्ट्रीय खेलों में वर्तमान में उत्तराखंड का देशभर में 26वां स्थान हैं। पिछले साल गुजरात में हुए राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड को 19 पदक मिले थे। इसमें भी स्वर्ण पदक की बात करें तो इसकी संख्या एक थी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार राष्ट्रीय खेलों में राज्य को टॉप टेन में शामिल कराने का प्रयास किया जा रहा। 26वें स्थान से टॉप टेन में शामिल होना विभाग के सामने चुनौती होगी।
राज्य को राष्ट्रीय खेलों से है उम्मीद
राज्य को राष्ट्रीय खेलों में एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, कयाकिंग, कैनोइंग, बॉस्केटबॉल, वालीबॉल, बैडमिंटन, कराटे आदि प्रतियोगिताओं में पदक जीतने की उम्मीद है। खेल विभाग के अधिकारियों का कहना है, राज्य से पलायन कर दूसरे राज्यों से खेलने वाले खिलाड़ियों को उत्तराखंड से खिलाने का प्रयास किया जाएगा।
इन स्थानों पर होंगे राष्ट्रीय खेल
राष्ट्रीय खेल देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, हल्द्वानी, रुद्रपुर, गुलरभोज व नैनीताल में होंगे। अफसरों का कहना है कि विभाग की ओर से खेलों के अनुरूप सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। वर्तमान में विभाग के पास दो अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम, 24 राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम, पांच बहुउद्देशीय खेल हॉल, 16 इंडोर हॉल, चार तरणताल, एक आइस रिंक है। इसके अलावा तीन राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम, छह बहुउद्देशीय खेल हॉल, तीन इंडोर हॉल, एक शूटिंग रेंज एवं एक एक्वेटिक सेंटर की स्थापना की जा रही है।
यह भी कमजोर कड़ी
प्रदेश में अगले साल राष्ट्रीय खेल होने हैं, इसी साल लोकसभा के चुनाव भी हैं। खेल विभाग के निदेशक जितेंद्र सोनकर के मुताबिक, निर्वाचन आयोग ने यदि महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कालेज, पवेलियन ग्राउंड, हल्द्वानी स्टेडियम आदि स्टेडियमों से किसी भी स्टेडियम को निर्वाचन के लिए अधिग्रहित किया, तो राष्ट्रीय खेलों का आयोजन संभव नहीं हो पाएगा। यही वजह है कि शासन से अनुरोध किया गया है कि इन स्टेडियमों को अधिग्रहित न किया जाए।
कहां तैयारियां पूरी और कहां अधूरी
खेल विभाग के निदेशक जितेंद्र सोनकर के मुताबिक, राष्ट्रीय खेलों के लिए देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और नैनीताल में अवस्थापना सुविधाओं को लेकर सभी तैयारियों पूरी कर ली गई हैं, जबकि हल्द्वानी, रुद्रपुर और गुलरभोज में अभी कुछ काम होने हैं। रुद्रपुर में ट्रैक साइकिलिंग के लिए वेलोड्रोम का निर्माण हो रहा है। इसके लिए काम शुरू हो चुका है। वहीं, हल्द्वानी में स्वीमिंग पुल बनना है। गुलरभोज में भी कुछ काम शेष है।
राष्ट्रीय खेलों के लिए अवस्थापना का काम लगभग पूरा हो चुका है, जो काम बचा है, उसे भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा। दिसंबर से प्रशिक्षण कैंप भी शुरू हो जाएंगे।