प्रयागराज: मथुरा वृंदावन में प्रस्तावित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर तथा यमुना घाटों के सौंदर्यीकरण को लेकर दाखिल याचिकाओं पर रविवार को महाधिवक्ता कैंप कार्यालय में सभी पक्षों की बैठक हुई।
बांके बिहारी मंदिर की ओर से बैठक में उपस्थित सेवायतों के अधिवक्ता ने कहा कि मंदिर उनका है और मंदिर में मिलनेवाले दान पर उनका हक है। सरकार इस पैसे को विकास के नाम पर उनसे नहीं ले सकती।
बैठक में कई बिंदुओं पर चर्चा हुई, हालांकि नतीजा सार्वजनिक नहीं किया गया। बैठक का नतीजा कोर्ट में रखा जाएगा। मामले की सुनवाई चार सितंबर को होगी।
अनंत शर्मा व अन्य तथा महंत मधु मंगल दास की तरफ से दाखिल जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने पिछली सुनवाई में कहा था कि यह ऐसा मामला है कि इसका आपस में बैठकर निदान किया जा सकता है।
कोर्ट ने इस मामले को मध्यस्थता द्वारा हल किए जाने पर बल दिया। महाधिवक्ता कैंप कार्यालय में इसी मुद्दे पर सहमति के लिए सभी पक्षों की बैठक रविवार (27 अगस्त) को बुलाई गई। करीब दो घंटे तक चली बैठक में सेवायत और सरकार के अधिवक्ता मौजूद रहे।
सेवायतों की ओर से पूजा और चढ़ावे पर अधिकार की बात रखी गई। कहा कि कॉरिडोर बनने से वर्षों से चले आ रहे उनके अधिकार प्रभावित होंगें, उनकी सुरक्षा की जाय। मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि ने कहा कि बैठक के परिणाम को कोर्ट के सामने रखा जाएगा।