राशनकार्डधारक देश में कहीं भी ले सकता है सस्ता खाद्यान्न

देहरादून। देश के किसी भी हिस्से के राशनकार्डधारक व्यक्ति को उत्तराखंड आने पर भूखा या बगैर खाद्यान्न नहीं रहना पड़ेगा। उन्हें राज्य का राशनकार्डधारक नहीं होने के बावजूद यहां भी सस्ते खाद्यान्न का अधिकार मिलेगा। राज्य के 23.80 लाख राशनकार्डधारक भी अन्य राज्यों में इस सुविधा का बेहिचक लाभ ले सकते हैं। यही नहीं, राज्य के भीतर भी एक जिले में तय सस्ते गल्ले की दुकान (एफपीएस) से सस्ता खाद्यान्न लेने की बाध्यता भी अब नहीं रह गई है। केंद्र की महत्वाकांक्षी वन नेशन वन राशनकार्ड योजना की वजह से यह मुमकिन हो सका है। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार के रास्ते पर चलकर राज्य सरकार 702 करोड़ सस्ता कर्ज पाने की हकदार भी बनी।

केंद्र सरकार ने राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का दो फीसद अतिरिक्त कर्ज के रूप में देने के लिए जिन चार सुधारों का लक्ष्य राज्यों को दिया था, उनमें वन नेशन वन राशनकार्ड योजना को लागू करना शामिल रहा है। इस योजना के तहत मुख्य रूप से दो सुधारों राज्य के सभी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान (एनएफएसए) के तहत कुल राशनकार्डों की आधार सीडिंग और सभी एफपीएस के आटोमेशन की शर्त जोड़ी गई। केंद्र सरकार ने इस सुधार पर अमल करने की तिथि 15 जनवरी, 2021 नियत की थी। इन सुधारों पर अमल करने की वजह से राज्य 0.25 फीसद अतिरिक्त कर्ज लेने का पात्र हो गया। प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान (एनएफएसए) के करीब 13.80 लाख राशनकार्डधारक हैं। इनमें एनएफएसए के अंर्तगत अंत्योदय के 1.84 लाख राशनकार्ड और शेष प्राथमिक परिवार राशनकार्डधारक प्राथमिक परिवार हैं। इन राशनकार्डों में दर्ज 61.94 व्यक्तियों को सस्ता खाद्यान्न योजना का लाभ मिल रहा है। केंद्र की वन नेशन वन कार्ड योजना के तहत सभी राशनकार्डों में शामिल यूनिट की आधार सीडिंग अनिवार्य है। इनमें से 99 फीसद से ज्यादा राशनकार्डों की आधार सीडिंग हो चुकी है। राशनकार्डों में दर्ज प्रत्येक व्यक्ति यानी प्रत्येक यूनिट की भी आधार सीडिंग अनिवार्य की गई है। अभी तक सिर्फ 94.93 फीसद यूनिट का ही आधार सत्यापन किया जा सका है। प्रत्येक यूनिट की आधार सीडिंग के लिए राज्य में अभियान चलाया गया, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिलने पर सरकार ने अनूठा कदम उठाया। आधार सीडिंग कराने के लिए आगे नहीं आने वाले राशनकार्डधारकों और यूनिट को रद कर दिया गया। ऐसा करने के साथ ही अन्य सभी आधार सीडिंग वाले राशनकार्डधारक भी वन नेशन वन राशनकार्ड योजना का पात्र हो गए हैं। हालांकि निरस्त की गई यूनिट को दोबारा राशनकार्डों में दर्ज करने की मुहिम दोबारा शुरू की जा चुकी है।

सरकार को सबसे ज्यादा दिक्कत सस्ता गल्ला दुकानों के आटोमेशन में आई। राज्य में कुल 9225 सस्ता गल्ला दुकानों में से 1809 दुकानों के आटोमेशन का काम लंबे समय तक रुका रहा। दरअसल इस काम के लिए चयनित एजेंसी ने पर्वतीय क्षेत्रों में दूरदराज की इन दुकानों में बायोमीट्रिक प्रणाली लागू करने से हाथ खड़े कर दिए। इन क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कत समेत अन्य संसाधनों की कमी के चलते एजेंसी इस काम को पूरा करने का साहस नहीं जुटा पाई। इसके बाद राज्य सरकार ने यह जिम्मेदारी केंद्र सरकार के उपक्रम ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट इंडिया लिमिटेड (बेसिल) के सुपुर्द की। खाद्य अपर सचिव प्रताप शाह के मुताबिक बेसिल ने इस काम को अंजाम दे दिया है।

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